झारखंड: स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के बेटे के अस्पताल दौरे का VIDEO वायरल, मंत्री ने किया भावनात्मक पोस्ट, लिखा, किसी की मदद करना क्या नेतागिरी है?
Jharkhand: Video of Health Minister Irfan Ansari's son's hospital visit goes viral, minister makes an emotional post, writes, is helping someone leadership?

रांची। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री के बेटे कृष अंसारी के वायरल वीडियो पर बवाल मचा हुआ है। वायरल वीडियो में वो अलग-अलग अस्पतालों में नजर आ रहे हैं। वो रिम्स भी गये, वहीं धुर्वा के प्राइवेट हास्पीटल पारस भी गये। इस दौरान मरीजों का हालचाल पूछते एक वीडियो भी सामने आया है। वायरल वीडियो में कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि ये स्वास्थ्य मंत्री के बड़े बेटे हैं। इस वीडियो ने सियासी तूल पकड़ लिया है। वहीं स्वास्थ्य मंत्री के बेटे के अस्पताल के कथित इंस्पेक्शन को लेकर मंत्री पर भी सवाल उठ रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने पोस्ट कर किया बचाव
इरफान अंसारी के बेटे कृष को लेकर चल रहे विवाद के बीच स्वास्थ्य मंत्री ने सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि मेरे बेटे कृष अंसारी को लेकर जो बातें कुछ मीडिया माध्यमों और राजनीतिक मानसिकता के लोग फैला रहे हैं, वो पूरी तरह निराधार, भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण हैं। इरफान अंसारी ने कहा कि कृष रिम्स किसी निरीक्षण या नेतागिरी के लिए नहीं गया था।
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इरफान अंसारी के मुताबिक उनका बेटा कृष अपने शिक्षक आदित्य कुमार झा के पिता को देखने गया था, जो रिम्स में भर्ती हैं। इसी क्रम में बीती रात कुछ आदिवासी परिवार स्वास्थ्य मंत्री के आवास पर सहायता के लिए पहुंचे, जो रिम्स में अपने परिजन के इलाज को लेकर बेहद परेशान थे। उनके आग्रह पर ही कृष रिम्स गया और वहां लोगों की तकलीफ कम करने की कोशिश करने।
इरफान अंसारी ने कहा कि संयोग से एक वरिष्ठ पत्रकार बंधु के परिजन भी रिम्स में भर्ती थे, जिन्हें भी सहायता की आवश्यकता थी। कृष ने इंसानियत और संवेदनशीलता के भाव से, यथासंभव मदद की, बस इतना ही। लेकिन आज जिस तरह इस घटना को तोड़-मरोड़ कर, राजनीति का रंग चढ़ाकर*, बिना तथ्यों के प्रस्तुत किया जा रहा है – वह बेहद दुखद और चिंताजनक है।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कृष एक पढ़ा-लिखा, संवेदनशील और होनहार छात्र है। वह अभी छुट्टियों में रांची आया हुआ है। सेवा की भावना उसके भीतर सहज रूप से मौजूद है – आखिर वह पूर्व सांसद फुरकान अंसारी का पोता है, जिन्होंने झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसे परिवार में जन्मे युवा में जनभावना और सेवा का स्वाभाविक संस्कार होना कोई अचरज नहीं। लेकिन क्या अब मदद करना भी अपराध है?
इरफान अंसारी ने कहा कि उनका बेटा कृष बार-बार मुझसे एक ही सवाल कर रहा है – “पापा, क्या लोगों की मदद करना गुनाह है? क्या किसी की तकलीफ देखकर मदद करना नेतागिरी कहलाता है?” यह सवाल मुझे भीतर तक तोड़ देता है।
मेरा बेटा न तो किसी किसान को गाड़ी से कुचलता है, न ही किसी के मुंह में पेशाब करता है, और न ही सत्ता के नशे में इंसानियत भूल जाता है। उसने तो बस एक बीमार को देखा… और मदद की। क्या अब संवेदनशीलता और करुणा भी अपराध मानी जाएगी? मैं इस सोच से बेहद व्यथित हूं और सोचने को मजबूर हूं कि “आखिर हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है?” क्या हर युवा हाथ जो मदद के लिए उठता है, अब राजनीति की काली स्याही से रंग दिया जाएगा? यह हाय-तौबा, यह मानसिकता, समाज के लिए घातक है। मैं आप सभी से हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं – कृपया सच्चाई को समझें। राजनीति के चश्मे को उतारे। यह एक युवा की संवेदनशीलता और सेवा-भावना का अपमान है।* कृष का मन टूटा हुआ है, लेकिन उसके इरादे मजबूत हैं।