VIDEO : पुलिसकर्मियों की मांगों पर हेमंत सरकार गंभीर….सहायक पुलिसकर्मियों को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बड़ा बयान … देखिये वीडियो क्या बोले CM
रांची। पुलिसकर्मियों की समस्याओं को लेकर हेमंत सरकार गंभीर है। मुख्यमंत्री ने हेमंत सोरेन ने खुद पुलिसकर्मियों की समस्याओं पर चिंता व्यक्त करते हुए उनकी परेशानी की समाधान की बात कही है। दुमका में कर्मचारियों के मुद्दे पर बात करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पिछल सरकार ने नियुक्ति की कोई नियमावली नहीं बनायी। जिसकी वजह से युवाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ी। युवाओं को कांट्रेक्ट और दैनिक वेतनभोगी बनकर काम करना पड़ा।
दो दशक तक नियुक्ति नियमावली ही राज्य में नहीं बनी। शिक्षकों की भर्तियों नहीं हो पायी, पुलिस और कर्मचारियों की नियुक्तियां नहीं हो पायी। पूर्ववर्ती सरकार को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने युवाओं के लिए भर्ती नियमावली तैयार की है और ना सिर्फ तैयार की है, बल्कि नियुक्तियों के रास्ते भी खोल दिये हैं। हेमंत सोरेन ने इस बात के संकेत दिये हैं कि राज्य सरकार पुलिसकर्मियों की परेशानियों का कोई ना कोई हल जरूस निकालेगी। आपको बता दें कि साल 2017 में राज्य में पुलिसकर्मियों को भी अनुबंध पर बहाल किया गया था।
सहायक पुलिसकर्मियों को लेकर सरकार गंभीर
राज्य सरकार ने 2017 में पूरे राज्य में संविदा के आधार पर 2500 सहायक पुलिस कर्मियों की भर्ती की थी। इनकी ड्यूटी ट्रैफिक विभाग, पीसीआर, थाने की कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए लगाई गई है। लेकिन इनकी मांगों पर किसी का ध्यान नहीं है। 2021 में सहायक पुलिस कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर रांची में दो बार विरोध प्रदर्शन किया। इसके बावजूद इनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। सहायक पुलिस कर्मियों का कहना है कि हमें दस हजार रुपये मिलते हैं। जिसमें उनकी वर्दी समेत ड्यूटी का पूरा खर्चा उठाना पड़ता है। दो आंदोलन के बाद सरकार की सहमति और लिखित आश्वासन के बावजूद सरकार के उदासीन रवैये को देखते हुए हमें अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। हमारी आयु सीमा भी समाप्त हो गई है। इसके बावजूद झारखंड सरकार कोई ठोस फैसला नहीं ले रही है। सरकार के इस उदासीन रवैये से व्यथित सहायक पुलिस को कभी भी हड़ताल करने को मजबूर होना पड़ सकता है। झारखंड सरकार से सहायक पुलिस कर्मियों की मांग है, कि हमें स्थायी किया जाए। साथ ही 24 हजार रुपए मानदेय के रूप में दिए जाएं। ड्यूटी के दौरान दुर्घटना और मृत्यु के मामले में, हमारे आश्रितों को मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये और अनुकंपा पर नौकरी दी जानी चाहिए।