बहुत कम लोग जानते हैं! महिलाएं भी कर सकती हैं हनुमान जी की पूजा…बस भूलकर भी न करें ये 6 गलतियां…वरना हो सकती है प्रभु की नाराज़गी…

मंगलवार के दिन जानिए — कैसे करें महिलाएं हनुमान जी की पूजा बिना किसी नियम का उल्लंघन किए

मंगलवार का दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित माना गया है। इस दिन विशेष रूप से पूजा करने से दुख, रोग, संकट और विपदा दूर होती है। हिंदू मान्यता के अनुसार, हनुमान जी आज भी सशरीर धरती लोक पर विद्यमान हैं, और अपने भक्तों के संकटों को हरने वाले संकटमोचक कहलाते हैं।

आमतौर पर यह धारणा रही है कि हनुमान जी की पूजा केवल पुरुष ही कर सकते हैं, क्योंकि वे ब्रह्मचारी हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि महिलाएं भी उनकी पूजा कर सकती हैं, बस कुछ खास नियमों का पालन ज़रूरी है।

 महिलाएं हनुमान जी की पूजा करते समय रखें ये 6 बातें ध्यान में:

  1. हनुमान जी की मूर्ति को स्पर्श न करें
    पूजा के दौरान महिलाएं हनुमान जी की मूर्ति या चरणों को न छुएं। हनुमान जी सभी स्त्रियों को मां सीता के समान मानते हैं, इसलिए वे महिलाओं के लिए आदर और मर्यादा के प्रतीक हैं।

  2. पंचामृत से स्नान न कराएं
    हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं, इसलिए महिलाओं द्वारा उन्हें पंचामृत से स्नान कराना अनुचित माना जाता है। यह उनके ब्रह्मचर्य का अपमान समझा जाता है।

  3. चोला, वस्त्र और यज्ञोपवीत न चढ़ाएं
    महिलाएं ये वस्त्र या चोला स्वयं अर्पित न करें। यदि इच्छा हो तो किसी पुरुष के माध्यम से अर्पण कराएं।

  4. हनुमान जी के आगे सिर न झुकाएं
    कहा जाता है कि हनुमान जी महिलाओं के आगे स्वयं झुक सकते हैं, लेकिन उन्हें यह पसंद नहीं कि कोई महिला उनके आगे सिर झुकाए। महिलाएं केवल हाथ जोड़कर श्रद्धा प्रकट करें।

  5. सिंदूर, बजरंग बाण या जनेऊ न चढ़ाएं
    महिलाएं हनुमान जी को सिंदूर न लगाएं और न ही बजरंग बाण का पाठ करें। ये कर्म केवल पुरुषों के लिए उपयुक्त माने गए हैं।

  6. पीरियड्स के दौरान पूजा या पाठ न करें
    ऐसी मान्यता है कि मासिक धर्म के दौरान हनुमान चालीसा या अन्य पूजा-पाठ करने से भगवान की कृपा नहीं मिलती, बल्कि वे अप्रसन्न हो सकते हैं।

 महिलाओं के लिए भक्ति का मार्ग खुला है, बस नियमों का ध्यान रखें

इन नियमों का पालन करते हुए महिलाएं भी हनुमान जी की भक्ति कर सकती हैं और उनके आशीर्वाद से शनि की साढ़ेसाती, रोग-संकट और भय से मुक्ति पा सकती हैं।
भक्ति में नियमों से अधिक भावनाओं की शुद्धता महत्वपूर्ण है, और हनुमान जी उन भक्तों पर सदा कृपा करते हैं जो उन्हें सच्चे मन से याद करते हैं।

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