भारत में मिला ‘अनोखा खून’! दुनिया में पहली बार सामने आया CRIB ब्लड ग्रुप, वैज्ञानिक भी रह गए हैरान…

Crib blood group found in india: बेंगलुरु, भारत – चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बेंगलुरु में वैज्ञानिकों ने एक 38 वर्षीय महिला के रक्त में एक बिल्कुल नया और अत्यंत दुर्लभ ब्लड ग्रुप खोजा है, जिसे CRIB (Cromer India Bengaluru) नाम दिया गया है।
यह अनोखा ब्लड ग्रुप न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में अब तक अज्ञात था, जो इस खोज को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

CRIB ब्लड ग्रुप क्या है?
आपने सामान्यतः ‘A’, ‘B’, ‘O’ और ‘Rh’ जैसे रक्त समूहों के बारे में सुना होगा, लेकिन CRIB एक अभूतपूर्व खोज है। यह Cromer ब्लड ग्रुप सिस्टम का 21वां एंटीजन है। इसका नामकरण तीन महत्वपूर्ण हिस्सों से मिलकर हुआ है:

  • CR – Cromer: यह एक दुर्लभ ब्लड ग्रुप सिस्टम को दर्शाता है।
  • I – India: उस देश को इंगित करता है जहां यह ऐतिहासिक खोज हुई।
  • B – Bengaluru: खोज के विशिष्ट स्थान, बेंगलुरु को दर्शाता है।

इसे INRA (Indian Red Cell Antigen) के नाम से भी जाना जाता है। CRIB इतना विशिष्ट है कि यह किसी भी अन्य ज्ञात रक्त समूह से मेल नहीं खाता, जो इसे वास्तव में अद्वितीय बनाता है।

कैसे हुई यह अनोखी खोज?
यह खोज तब सामने आई जब कर्नाटक के कोलार जिले की एक महिला को जटिल हृदय शल्य चिकित्सा के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया। ऑपरेशन से पहले ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता पड़ी, लेकिन डॉक्टरों को हैरानी हुई जब महिला का रक्त किसी भी सामान्य या दुर्लभ ब्लड ग्रुप से मेल नहीं खाया।

इस असाधारण स्थिति को देखते हुए, उनके रक्त का नमूना यूनाइटेड किंगडम की इंटरनेशनल ब्लड ग्रुप रेफरेंस लेबोरेटरी (IBGRL) को भेजा गया। लगभग 10 महीने की गहन जांच और विश्लेषण के बाद, वैज्ञानिकों ने पुष्टि की कि महिला के रक्त में एक बिल्कुल नया और अप्रत्याशित एंटीजन मौजूद है – ऐसा एंटीजन जो मानव इतिहास में पहली बार देखा गया है।

CRIB की खासियत और चुनौतियां
CRIB ब्लड ग्रुप की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह किसी भी अन्य डोनर के रक्त से मेल नहीं खाता। इसका सीधा सा अर्थ है कि यह महिला दूसरों को रक्त दे सकती है, लेकिन स्वयं किसी और से रक्त प्राप्त नहीं कर सकती। आपातकालीन स्थितियों में, उन्हें केवल पहले से संरक्षित किया गया उनका अपना रक्त ही चढ़ाया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने महिला के परिवार के 20 सदस्यों के रक्त की भी जांच की, लेकिन उनमें से किसी में भी यह अद्वितीय रक्त समूह नहीं पाया गया। यह दर्शाता है कि CRIB एक अत्यंत दुर्लभ आनुवंशिक संयोजन है, जो संभवतः विश्व में केवल इस एक महिला में ही मौजूद है।

CRIB जैसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप की उपस्थिति चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक चुनौती भी है। ऐसे रोगियों के लिए रक्त की व्यवस्था करना बेहद जटिल हो सकता है, जिससे आपातकालीन स्थितियों में मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

वैज्ञानिक महत्व और भविष्य की संभावनाएं
बेंगलुरु स्थित निमहांस (NIMHANS) की रक्त समूह विशेषज्ञ डॉ. अनुराधा के अनुसार, “CRIB की खोज न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक चिकित्सा विज्ञान के लिए भी एक मील का पत्थर है। यह खोज रक्त संबंधी बीमारियों, आनुवंशिक संरचना और चिकित्सा अनुसंधान के लिए नए रास्ते खोलेगी।”

यह उपलब्धि रक्त समूहों की जेनेटिक विविधता को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। भविष्य में, यह खोज रक्त ट्रांसफ्यूजन, अंग प्रत्यारोपण और विभिन्न आनुवंशिक बीमारियों के इलाज में नई संभावनाएं खोल सकती है। वैज्ञानिक अब इस ब्लड ग्रुप की गहन जांच कर रहे हैं ताकि इसके आनुवंशिक और जैविक पहलुओं को और बेहतर ढंग से समझा जा सके।

CRIB ब्लड ग्रुप की खोज भारतीय चिकित्सा विज्ञान के लिए गौरव का क्षण है। यह न केवल एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि मानव शरीर की जटिलता और अद्वितीय विविधता का भी एक अद्भुत उदाहरण है। यह खोज भविष्य में चिकित्सा के क्षेत्र में नई क्रांति ला सकती है और हमें मानव रक्त की रहस्यमयी दुनिया को और गहराई से समझने में मदद करेगी।

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