नयी दिल्ली। जल्द ही स्कूली शिक्षा में अब खो-खो, गिल्ली डंडा, लंगड़ी, पतंग उड़ान और संथल कट्टी जैसे देसी खेलों को जल्द शामिल किया जायेगा। नयी शिक्षा नीति के तहत अब स्कूलों में शिक्षा को खेल से जोड़ने की शुरुआत हुई है। शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के तहत इस बात का निर्णय लिया है कि 75 देसी खेल के जरिये बच्चों के नैसर्गिक विकास की पहल की जायेगी। शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि ऐसे खेलों से ना सिर्फ बच्चे अपनी परंपरा से जुड़े रहेंगे, बल्कि कई जटिल पाठ को भी इन खेलों के माध्यम से आसानी से समझा जा सकेगा।

खेल मंत्रालय के इस फैसले के पीछे एक और तर्क ये भी दिया जा रहा है कि ऐसे खेल से बच्चों में शारीरिक और बौद्धिक दोनों तरह का विकास बड़ी अच्छे तरीके से होगा। सिर्फ स्कूल शिक्षा ही जल्द ही तकनीकी और मेडिकल शिक्षा में कुछ अलग से पाठ्यक्रम को जोड़ने की बातें सामने आ रही है। इन खेलों में ‘अटाया-पटाया’, ‘खो खो’, ‘लंगड़ी’, ‘इक्कल-दुक्कल’ और ‘विष-अमृत’ जैसे खेल भी शामिल होंगे। मंत्रालय का मानना है कि परंपरागत भारतीय कलाओं में ज्ञान के लिए प्रेरित करने और समर्पण की अद्भुत क्षमता है।

नई शिक्षा प्रणाली के तहत केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों में महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। पैरामेडिकल, वास्तुशास्त्र और आयुर्वेद आधारित दवाओं के विषय के नए पाठ्यक्रम जल्द ही दिल्ली के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में शुरू किए जाएंगे। संस्कृत के साथ योग, संगीत, आयुष और अन्य विषय भी पढ़ाए जाएंगे। जुलाई से नैचुरोपैथी का पीजी डिप्लोमा कोर्स शुरू किया गया है। 

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