कुपोषण और भुखमरी के लिए केंद्र की गलत नीति को बताया जिम्मेवार… जन वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने की मांग…

लातेहार (प्रतिनिधि) :- ग्राम स्वराज मजदूर संघ के नेतृत्व में देश में भूख की गंभीर स्थिति एवं विश्व खाद्य दिवस के मद्देनजर स्थानीय हाई स्कूल से एक विशाल रैली निकाली गई। रैली प्रखण्ड परिसर में पहुंच कर आम सभा में बदल गई। आम सभा को संबोधित करते हुए झारखण्ड नरेगा वाच के राज्य संयोजक जेम्स हेरेंज ने कहा कि अभी पिछले दिनों जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार भारत में भुखमरी बेहद शर्मनाक स्थिति पर पहुँच गई है। पिछले वर्ष 2021 में भारत का 101 वें स्थान से गिरकर इस साल 2022 में 121 देशों की रैंकिंग में भारत का स्थान 107 पर पहुँच गया है। जबकि भारत से बेहत्तर स्थिति में पडोसी देश पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश हैं। देश को इस शर्मनाक स्थिति तक पहुँचाने के लिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार की नीति को जिम्मेवार माना है।

ग्राम स्वराज मजदूर संघ के पचाठी सिंह ने कहा कि अकेले झारखण्ड राज्य में 2017 से 2021 के बीच कई लोगों की भूख से मौत हुई। एनएफएचएस-5 रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में छह महीने से लेकर 59 महीने तक की आयु वर्ग के 67 प्रतिशत बच्चे एनीमिया के शिकार हैं । राज्य की 65.3 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी की चपेट में हैं। देश में आज भी 19 करोड़ से अधिक लोग भूखे पेट रात बिताने को विवश हैं। ये स्थितियाँ देश के विकास के रास्ते में बड़ी बाधक हैं।
जान्हों गाँव की जानवा देवी ने दुःख ब्यक्त करते हुए कहा कि पहले उनके परिवार का पीएच कार्ड था लेकिन कुछ साल खाद्यान्न मिलने के बाद उनका राशन कार्ड अधिकारियों ने वगैर कोई सूचना के ही रद्द कर दिया। बहुत मिन्नत के बाद हरा राशन कार्ड बनाया गया लेकिन उसमें भी डीलर द्वारा राशन नहीं दी जा रही है। पारिवारिक परिस्थिति इतनी ख़राब हो गई कि हम दोनों बूढा – बूढी को छोड़कर बेटा पतोहू रोजगार की तलाश में बाहर पलायन कर गए । कोपे की सुखमनी देवी ने आज पूरे ब्लॉक में राशन की कटौती सामान्य बात हो गई है। इसमें प्रखण्ड व जिले के अधिकारियों की गजब की चुप्पी संदेह पैदा करता है ।इसका मतलब साफ है कि राशन मामले में सभी अधिकारियों की मिलीभगत है। सभा को श्यामा सिंह, पानपती देवी, दीपू सिंह, मकलदेव सिंह, सहित अन्य लोगों ने संबोधित किया।

कार्यक्रम के अंत में 10 सूत्री माँग पत्र देश के प्रधानमन्त्री के नाम तैयार किया गया गया। जिसे प्रतिनिधिमण्डल द्वारा स्थानीय प्रखण्ड विकास पदाधिकारी को कार्यालय अवधि में देने का निर्णय लिया गया।
संघ की ये है मांग
जन वितरण प्रणाली का सार्वभौमिकरण किया जाए।
जन वितरण प्रणाली में मोटे अनाज, दाल और खाद्य तेल शामिल किया जाए।
जब तक जन वितरण प्रणाली का सार्वभौमिकरण नहीं की जाती है राशनकार्ड से वंचित सभी योग्य परिवारों को राशन कार्ड से जोड़ा जाए।
जन वितरण प्रणाली, आंगनबाड़ी और स्कूलों में दिया जाने वाले दोपहर के भोजन योजना में दिए जा रहे चावल का फोर्टीफिकेशन पूरी तरह बन्द किया जाए।
झारखण्ड के सभी विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में दोपहर का भोजन में प्रत्येक दिन सभी बच्चों को एक – एक अंडा देने की गारन्टी की जाए।
सभी महिलाओं को प्रत्येक गर्भधारण के समय प्रधानमन्त्री मातृत्व वंदना योजना के तहत् 6000 रूपये देने की क़ानूनी गारन्टी की जाए।
सभी गर्भधारण करने वाली नरेगा मजदूर महिलाओं को 3 महीने का वेतन सहित अवकाश दिया जाए ।
सम्पूर्ण आदिवासी इलाकों में किसी भी समुदाय को जल, जंगल जमीन से विस्थापित करना बन्द किया जाए।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 में अधिकारों से वंचित किये जाने पर ससमय शिकायत निवारण एवं हर्जाना देना सुनिश्चित की जाए।
मनरेगा में प्रत्येक वर्ष न्यूनतम 200 दिन काम और दैनिक मजदूरी 600 रूपये की गारन्टी की जाए।
कार्यक्रम को सफल बनाने में संघ के दिलीप रजक, जुगेश्वर सिंह, अमरदयाल सिंह, सिलास गुड़िया, विमल सिंह, ननकू सिंह ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सभा का संचालन प्रेमा तिग्गा ने किया।