,….वो 5 गलती: झारखंड में NDA की वो 5 गलतियां, जिसने सत्ता पाने का सपना कर दिया चकनाचूर, गठबंधन से लेकर चुनाव प्रचार तक गलतियां ही गलतियां

,....those 5 mistakes: Those 5 mistakes of NDA in Jharkhand, which shattered the dream of getting power, from alliance to election campaign, there were only mistakes

Jharkhand Lose Factor : झारखंड में आखिर क्या वो फैक्टर रहे, जिसकी वजह से भाजपा गठबंधन को इतनी करारी हार मिली। राजनीति के जानकार इसके कई कारण बताते हैं। भाजपा ने चुनाव में एक नहीं, कई स्तर पर गलतियां की।

इसकी शुरुआत गठबंधन में सीट बंटवारे से लेकर प्रत्याशी के ऐलान और घोषणा पत्र तक में एक के बाद एक स्तर पर होती रही। भाजपा इतनी अति आत्मविश्वास में भरी थी, कि वो मान चुकी थी, कि NDA की ही सरकार बनने वाली है।

पहली गलती

आजसू को 10 सीटें देना भाजपा को इस चुनाव में महंगा पड़ गया। दरअसल आजसू का स्ट्राइक रेट उतना ज्यादा कभी रहा है। अभी तक अधिकतम जो सीटें आजसू ने जीती है, वो भी 5 सीटें हैं। ऐसें में आजसू ने उन सीटों पर भी भाजपा की स्थिति कमजोर कर दी, जहां अगर आजसू के बजाय भाजपा अपने उम्मीदवार उतारती तो परिणाम कुछ और होता।

दूसरी गलती

भाजपा ने अपने समर्पित कार्यकर्ताओं को बजाय बाहर से लाये प्रत्याशियों को टिकट दिया। हमेशा परिवारवाद के खिलाफ आवाज उठाने वाली भाजपा की लिस्ट परिवारवाद से भरी पड़ी थी। प्रत्याशियों के ऐलान के साथ भाजपा में जो असंतोष उभरा, उससे पार्टी अंत तक उबर नहीं पायी।

कई पार्टी के पुराने नेताओं ने चुनाव के पहले भाजपा छोड़कर झामुमो ज्वाइन कर लिया। इससे पहले भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ। झामुमो में तो कई ऐसे उम्मीदवार जीते, तो भाजपा छोड़कर आये या फिर चुनाव के ठीक पहले झामुमो में शामिल हुए।

तीसरी गलती

घोषणा पत्र का काफी पहले जारी करना भी भाजपा की एक बड़ी राजनीतिक चूक रही। भाजपा गोगो दीदी योजना में 2100 रुपये देने की घोषणा कर जो बड़ा दांव चलने की रणनीति तैयार की थी। दरअसल उस वक्त आचार संहिता भी लागू नहीं हुआ था।

ऐसे में झामुमो को उस दावों का तोड़ निकालने का पूरा वक्त मिला। लिहाजा, झामुमो ने ना सिर्फ गोगो दीदी योजना के 2100 रुपये के जवाब में 2500 रुपये देने की घोषणा कर नहले पर दहला चल दिया। वहीं कैबिनेट में पास कराकर जनता के मन में विश्वास को और भी गहरा कर दिया।

चौथी गलती

भाजपा के चुनाव प्रचार के दौरान जिन मुद्दों को उठाया गया, उससे झारखंड के लोग ज्यादा कनेक्ट नहीं हो सके। खासकर ग्रामीण इलाके के लोग। शहरी क्षेत्र में भाजपा का प्रभाव दिखा भी, लेकिन वो वोट करने निकले ही नहीं, ऐसे में भाजपा को ग्रामीण इलाकों में 2500 बनाम 2100 की लड़ाई में हार झेलनी पड़ गयी।

प्रचार के दौरान भी जिस तरह के हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने मेहनत की, उतनी मेहनत भाजपा की तरफ से होती नहीं दिखी। भाजपा का पूरा चुनाव प्रचार सिर्फ बड़े नेताओं पर फोकस कर रह गया।

पांचवीं गलती

चुनाव के दौरान ईडी की कार्रवाई और हेमंत-कल्पना व राहुल गांधी के हेलीकाप्टर को रोके जाने को लेकर इंडी गठबंधन ने जिस तरह से सोशल मीडिया पर एनडीए को को घेरा, उसका भी काफी असर दिखा। झामुमो ये कनेक्ट करने में कामयाब रही कि उन्हें परेशान किया जा रहा है।

दूसरी तरफ कल्पना सोरेन ने जेल का जवाब जीत से, का जो नारा दिया, वो काफी असरदार रहा। हेमंत सोरेन चुनाव प्रचार में जिस तरह से सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहे थे, उसमें वो काफी हद तक कामयाब रहे।

Related Articles