हेमंत कैबिनेट के इस मंत्री की बढ़ी मुश्किलेंं, कोर्ट ने छह सप्ताह के भीतर मांगा जवाब, जानिये क्या है पूरा मामला

Problems increased for this minister of Hemant cabinet, court sought answer within six weeks, know what is the whole matter

Jharkhand Big News। हेमंत कैबिनेट के मंत्री की मुश्किलें बढ़ गयी है। हाईकोर्ट ने मंत्री को नोटिस जारी किया है। दरअसल झारखंड उच्च न्यायालय ने पूर्व विधायक डॉ. लंबोदर महतो की याचिका को स्वीकार करते हुए पेयजल एवं स्वच्छता तथा उत्पाद व मद्य निषेध मंत्री योगेंद्र प्रसाद को नोटिस किया है।

 

 

मंत्री योगेंद्र प्रसाद से कोर्ट ने छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। साथ ही इस मामले में राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, बोकारो जिला निर्वाचन पदाधिकारी तथा सहायक निर्वाचन पदाधिकारी, तेनुघाट को भी पार्टी बनाने को कहा है।

 

अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव के अनुसार, याचिका में योगेंद्र प्रसाद पर झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष रहते हुए चुनाव लड़ने का आरोप लगाया गया है, जो लाभ का पद है। यह भी कहा गया है कि नामांकन दाखिल करने व नामांकन पत्रों की जांच तक उनका त्यागपत्र स्वीकृत नहीं हुआ था।

 

उन्होंने अपनी याचिका में उनके चुनाव लड़ने पर की गई आपत्ति पर संबंधित अधिकारियों द्वारा जानबूझकर संज्ञान नहीं लेने का भी आरोप लगाया है। न्यायालय द्वारा यह नोटिस 21 फरवरी को ही जारी किया गया है।

 

जानिये योगेंद्र प्रसाद के बारे में

2024 में विधानसभा चुनाव जीतने वाले योगेंद्र प्रसाद, 2014 में झामुमो की टिकट पर बोकारो जिला के गोमिया विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। झामुमो प्रत्याशी के रुप में उन्होंने भाजपा के माधवलाल सिंह को 37,514 वोट के अंतर से हराया था, लेकिन 31 जनवरी 2018 को उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो गई थी. इसकी वजह बना अवैध कोयला को जमा कर हार्डकोक बनाना।

 

दरअसल, रामगढ़ के मुरुबंदा में तत्कालीन विधायक योगेंद्र प्रसाद और उनके भाई चित्रगुप्त महतो का शुभम शिव हार्डकोक प्लांट था। साल 2010 में जब पुलिस ने छापा मारा तो प्लांट से अवैध कोयला पकड़ा गया. उनपर अवैध तरीके से कोयला जमा कर हार्ड कोक बनाकर कारोबार करने का मुकदमा चला। तत्कालीन थाना प्रभारी चंद्रिका प्रसाद ने मुकदमा दर्ज कराया था। लंबी सुनवाई के बाद एसडीजेएम कोर्ट ने धारा 144, 120 बी के तहत योगेंद्र प्रसाद समेत अन्य को तीन-तीन साल की सजा सुनाई थी।

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