नयी दिल्ली। NCERT की किताबों से खालिस्तान का जिक्र हटेगा। दरअसल, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (SGPC) ने NCERT को चिट्ठी लिखकर ‘गलत सूचनाओं’ पर कड़ी आपत्ति जताई थी, जिसके बाद की किताबों से खालिस्तान के जिक्र को हटाने का फैसला किया गया है। पिछले महीने ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (SGPC) ने नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) को चिट्ठी लिखी थी।

पत्र में कहा गया था कि 12वीं क्लास की किताब से खालिस्तान के जिक्र को हटाया जाए। साथ ही NCERT की किताबों से उस बात का जिक्र हटाया जाए, जिसमें सिखों को ‘अलगाववादियों’ के तौर पर दिखाया गया है। चिट्ठी में कहा गया कि क्षेत्रीय आकाक्षाएं नाम वाले इस चैप्टर में बताया गया है कि 1973 में आनंदपुर साहिब प्रस्ताव को शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने अपनाया। किताब में प्रस्ताव को ‘अलगाववादी प्रस्ताव’ के रूप में दिखाया गया है, इसमें कहा गया है कि प्रस्ताव के जरिए क्षेत्रीय स्वायत्ता की मांग को उठाया गया है।

चिट्ठी में आगे बताया गया कि प्रस्ताव के जरिए केंद्र-राज्य संबंधों को पुनर्परिभाषित करने की भी मांग उठाई गई. प्रस्ताव में संघवाद को मजबूत करने की वकालत की गई है. हालांकि, जब इसे हिंदी में पढ़ा जाता है, तो ऐसा लगता है कि अलग सिख राष्ट्र की मांग की जा रही हो. NCERT की किताब के उस हिस्से को पढ़ने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

आपको बता दें कि 12वीं क्लास की पॉलिटिकल साइंस यानी राजनीति विज्ञान की किताब में खालिस्तान का जिक्र किया गया था। 12वीं क्लास के पॉलिटिकल साइंस की ‘स्वतंत्र भारत में राजनीति’ किताब के सातवें चैप्टर (क्षेत्रीय आकाक्षाएं) में खालिस्तान को लेकर बात की गई थी। इसमें ‘सिख राष्ट्र को मजबूत करने की दलील’ बताई गई थी, जिसे अब हटाने का फैसला लिया गया है। कहा जा रहा था कि इससे सिखों की छवि धूमिल हो रही थी।

चिट्ठी में कहा गया था कि NCERT की किताबों में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करती है। 12वीं क्लास की किताब के सातवें चैप्टर (क्षेत्रीय आकाक्षाएं) में आनंदपुर साहिब और खालिस्तान को लेकर जो जानकारी दी गई, उस पर ही SGPC ने आपत्ति जताई थी। कमिटी ने मांग की थी कि इन फैक्ट्स को किताबों से हटा दिया जाए।

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