रांची । .…तो क्या हेमंत सोरेन को कुर्सी छोड़नी पड़ेगी?…IAS  पूजा सिंघल पर जैसे-जैसे काली कमाई के मसले पर शिकंजा कसता जा रहा है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भी मुश्किलें उतनी ही तेजी बढ़ती जा रही है। 20 मई के बाद कभी भी चुनाव आयोग का फैसला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता पर आ सकता है। अगर फैसला हेमंत सोरेन के खिलाफ आया तो सरकार पर संकट हो सकता है। हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के बाद आखिर कौन सत्ता संभालेगा, इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो गयी है। अटकलों के बीच 19 मई फिर से हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है। पिछले दिनों हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने इस मामले में गंभीर टिप्पणी करते हुए पूछा था कि विभागीय मंत्री रहते खनन पट्टा अपने नाम पर लेना, क्या पद का दुरूपयोंग नहीं है।

हेमंत सोरेन के विकल्प के तौर पर दो नाम है, एक नाम पत्नी कल्पना सोरेन का है, दूसरा मंत्री चंपई सोरेन का है। चुनाव आयोग में सीएम पर लगे आरोप अगर प्रमाणित होते हैं तो मुख्यमंत्री की विधायकी जानी तय है। वो मौजूदा सरकार तो बची रहेगी, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा बदल सकता है।

मौजूदा वक्त में सोरेन परिवार के हर सदस्य पर कोई ना कोई आरोप है। ऐसे में सोरेने परिवार के किसी अनुभवी सदस्य को मुख्यमंत्री बनाना ज्यादा फायदे का सौदा नहीं है। हालांकि एक बात और सामने आ रही है कि इस पूरे मामले को 10 जून तक टाला जा सकता है।

क्या है दो मामला जिन पर फैसला आना है

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर मुख्यमंत्री रहते खदान पट्टा खुद के पक्ष में जारी करने का आरोप है। इस मामले में 20 मई तक चुनाव आयोग ने जवाब मांगा है। वहीं हाईकोर्ट में शेल कंपनियों में सोरेन परिवार के निवेश के मामले में भी सुनवाई चल रही है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी की थी। हाईकोर्ट ने पूछा था कि विभाग के मंत्री रहते हुए खदान लीज लेना क्या पद का दुरूपयोग नहीं है। मामला चीफ जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में चला। इस मामले में गुरुवार को फिर से सुनवाई हो रही है।  

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