झारखंड- भावुक क्षण: शहीद पिता के घर आयी नन्ही परी, आपरेशन सिंदूर में वीरगति पाये शहीद रामबाबू की पत्नी ने बेटी को दिया जन्म, नाम जानकर छलक उठेंगे आंसू…

Jharkhand- Emotional moment: A little angel came to the house of a martyred father, wife of martyr Ram Babu who died in Operation Sindoor gave birth to a daughter, knowing the name will bring tears...

धनबाद। आपरेशन सिंदूर में शहीद हुए जवान के घर किलकारियां गूंजी है। शहीद की पत्नी ने बिटिया को जन्म दिया है। जिस वक्त सीमा पर टैंक ऑपरेटर रामबाबू कुमार सिंह शहीद हुए थे, उस वक्त उनकी पत्नी अंजलि गर्भवती थी। अब 21 अगस्त 2025 को अंजलि ने बेटी को जन्म दिया है। बच्ची का नाम ‘राम्या’ रखा गया है, जो शहीद के नाम से जुड़ा है।

 

बेटी के जन्म से परिवार में खुशी का माहौल है, लेकिन शहीद की अनुपस्थिति ने इस खुशी को भावुक बना दिया है। यह नाम न केवल परिवार की भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि शहीद की स्मृति को भी जीवित रखने का प्रतीक बन गया है। परिवार के लोगों का कहना है कि रामबाबू हमेशा से बेटी की चाह रखते थे। वे कहा करते थे कि अगर घर में बेटी होगी तो परिवार की रौनक और बढ़ जाएगी।

 

किस्मत ने उनकी यह इच्छा तो पूरी कर दी, लेकिन दुख की बात यह रही कि बेटी को देखने के लिए वह इस दुनिया में मौजूद नहीं हैं। शहादत के महज तीन महीने बाद जन्मी यह बच्ची अब पूरे परिवार के लिए शहीद की याद और धरोहर बन गई है।

 

आपको बता दें कि रामबाबू की पत्नी अंजलि, जो खुद एक गोल्ड मेडलिस्ट एथलीट रह चुकी हैं, ने कहा कि वह अपनी बेटी को उसी जज्बे और हौसले के साथ बड़ा करेंगी जैसा उनके पति चाहते थे। उनके मुताबिक, “राम्या केवल मेरी बेटी नहीं, बल्कि शहीद की अमानत और उनकी याद है। मैं उसे मजबूत, साहसी और जिम्मेदार इंसान बनाऊंगी।”

 

रामबाबू और अंजलि का रिश्ता वर्ष 2017 से शुरू हुआ था। लंबे समय तक एक-दूसरे के साथ रहने के बाद 14 दिसंबर 2024 को दोनों का विवाह हुआ था। लेकिन किस्मत ने ऐसा मोड़ लिया कि शादी के मात्र पांच महीने बाद ही, 14 मई 2025 को, जम्मू-कश्मीर में चल रहे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान रामबाबू ने देश की रक्षा करते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी।

 

उनकी शहादत की खबर से पूरा क्षेत्र शोक में डूब गया था। लेकिन परिवार और समाज दोनों को इस बात पर गर्व है कि रामबाबू ने मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। अब बेटी राम्या के जन्म ने परिवार के दिलों में नई उम्मीद और शक्ति भर दी है।

 

अंजलि के परिजनों का कहना है कि राम्या ही अब शहीद की सबसे बड़ी धरोहर है। वे चाहते हैं कि जब वह बड़ी हो, तो अपने पिता की राह पर चले और सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करे। उनका मानना है कि यही उनके पिता की सच्ची विरासत और शहादत का सम्मान होगा।बेटी के जन्म से जहां परिवार में खुशी की लहर है, वहीं यह कसक भी है कि राम्या अपने पिता के स्नेह से वंचित रहेगी।

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