हावड़ा । सांकराइल ब्लॉक के सारेंगा गांव में अधिकतर लो ने रसोई गैस सिलिंडर का उपयोग करना बंद कर दिया है. आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीणों ने अब ईंधन के तौर पर (एक तरह का कोयला) को चुना है। ये गुल पर खाना बना है. एकाध घरों में ही सिलिंडर का उपयोग होता है, लेकिन इन घरों में भी गैस की खपत बहुत कम है। एक सिलिंडर चार से पांच महीने तक चलता है।

जानकारी के अनुसार, सांकराइल ब्लॉक स्थित सारेंगा सहित अन्य गावों में जूट मिलों में काम करने वाले श्रमिक और दिहाड़ी मजदूर रहते हैं। आय कम होने के कारण इन लोगों ने गैस सिलिंडर पर खाना बनाना बंद कर दिया है। इनका कहना है कि एक सिलिंडर की कीमत 1100 रुपये हैं। ऐसे में उन लिए गैस पर खाना पकाना संभव नहीं है. सिलिंडर की की जब 500 से 600 रुपये तक थी, तब तक उनलोगों ने गैस सिलिंडर का उपयोग किया. लेकिन अब यह संभव नहीं ह रहा है।

500 के गुल से निकल जाता है पूरा महीना

ग्रामीणों ने बताया कि 400 से 500 रुपये का गुल खरीदने पर लोगों एक माह का काम निकल जाता है. साथ ही प्रति माह 500 से 600 रुपये की बचत भी हो रही है. जूट मिल में काम करने वाले सपन चौधरी ने बताया कि जिस तरह से रसोई गैस सिलिंडर की कीमत बढ़ी है, ऐसे में अब इसका इस्तेमाल करना हमलोगों के लिए असंभव है. इसलिए फिर से गुल का उपयोग कर रहे हैं।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...