स्थानांतरण पदस्थापन के विरोध में कर्मचारी संगठन ने खोला मोर्चा, AJPMA के बाद चिकित्सा जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने भी निदेशक प्रमुख को पत्र लिख जताया विरोध

Ranchi: राज्य भर में स्थानांतरण पदस्थापन का दौर जारी है।जून – जुलाई माह के साथ ही सभी विभागों में कर्मियों की दौड़ भाग शुरू हो जाती है। कर्मियों की सेवा इतिहास से लेकर सेवा काल की जानकारी जुटाई जा रही है।सामूहिक स्थानांतरण पदस्थापन से एक बार फिर राज्यकर्मी तनाव में हैं। बदलते परिस्थिति से इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कर्मी विभागीय आदेश के विरोध में आंदोलन का रुख अख्तियार करने पर विवश हो।
स्वास्थ्य विभाग के पत्र ने बढ़ाई टेंशन
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख सी के शाही के एक पत्र ने राज्यकर्मियों की टेंशन बढ़ा दी है। निदेशक प्रमुख ने पत्र जारी कर 5 वर्ष या उससे अधिक एक ही जिले ने पदस्थापित कर्मियों की सूची मांगी है ताकि सामूहिक स्थानांतरण पदस्थापन किया जा सके। जिसके विरोध में राज्यकर्मी लामबंद होना शुरू किया है। इस आदेश के विरोध में कर्मचारी संगठन ने पत्र लिखकर विरोध जताया है।
झारखंड राज्य चिकित्सा जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने जताया विरोध
चिकित्सा जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के 22 जून के राज्यस्तरीय सम्मेलन में स्थानांतरण का मामला खूब गर्माया था। साथ ही विभागीय पत्र के विरोध करने पर सहमति बनी। संघ के महामंत्री शैलेन्द्र कुमार तिवारी ने निदेशक प्रमुख को लिखे पत्र में कहा है कि सामूहिक स्थानांतरण पर रोक लगाई जाय।
संबधित पत्र में ये भी कहा है कि विभिन्न जिलों में कार्यरत कर्मी सरकार के महत्वाकांक्षी योजना में लगे हुए है , सामूहिक स्थानांतरण से जनहित में कार्य बाधित होने की संभावना है ऐसी स्थिति में सामूहिक स्थानांतरण पर रोक लगाई जाय।
मालूम हो कि इसके पहले ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन ने सामूहिक सामूहिक स्थानांतरण के पत्र के विरोध में निदेशक प्रमुख को कड़ा पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी और कहा था कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में कर्मी स्वस्थ झारखंड ,सुखी झारखंड का सपना साकार कर रहे है। सामूहिक स्थानांतरण से ये सपना साकार होने में बाधा उत्पन्न होगी। साथ ही ऐसे आदेश से कर्मियों में रोष व्याप्त है।
सूत्रों की मानें तो निदेशक प्रमुख के पत्र को लेकर कर्मचारी संगठन के बीच बैठकों का दौर जारी है।साथ ही आंदोलन की चर्चाएं भी गर्म है। आने वाले निकट भविष्य में श्रावणी मेला, मौसमी बीमारी, महामारी, कोरोना की दस्तक की रोकथाम सहित कई कार्यक्रम प्रस्तावित है। कर्मचारियों के विरोध का सीधा असर इन कार्यक्रमों पर पड़ सकता है।