फाड़ी शर्ट…फेंकी चाय…तोड़ी चेन…सीट खाली कराने गए TTE पर टूटी महिलाओं की बरसी हुई गुस्से की बौछार
दून एक्सप्रेस में मचा बवाल: लखनऊ चारबाग स्टेशन पर बिना टिकट महिलाओं ने TTE को पीटा, रेलवे ने दर्ज कराई शिकायत

फाड़ी शर्ट…फेंकी चाय…तोड़ी चेन…सीट खाली कराने गए TTE पर टूटी महिलाओं की बरसी हुई गुस्से की बौछार
लखनऊ। हावड़ा-ऋषिकेश दून एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 13009) में गुरुवार रात हुई घटना ने रेलवे प्रशासन को भी हैरान कर दिया। लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर टिकट चेकिंग के दौरान कुछ महिला यात्रियों ने TTE दिवाकर मिश्रा पर हमला कर दिया। उन्होंने उनकी शर्ट फाड़ दी, चेहरे पर गर्म चाय फेंक दी और गले की सोने की चेन तोड़ दी।
सीट खाली कराने पर भड़कीं महिलाएं
जानकारी के मुताबिक, दून एक्सप्रेस जब लखनऊ के पास पहुंची, तब TTE दिवाकर मिश्रा स्लीपर कोच S-3 में टिकट जांच रहे थे। इस दौरान एक यात्री ने सोशल मीडिया पर शिकायत की थी कि उसकी सीट पर बिना टिकट यात्री बैठे हैं और उसने सीट खाली कराने की मांग की।
TTE जब सीट नंबर 4 खाली कराने पहुंचे, तो वहां बैठी महिलाएं भड़क उठीं। उन्होंने न सिर्फ सीट खाली करने से मना किया बल्कि गाली-गलौज करते हुए TTE पर हमला बोल दिया।
“चेहरे पर फेंक दी चाय, तोड़ दी चेन”
TTE दिवाकर मिश्रा ने बताया,
“महिलाओं ने मुझे धक्का दिया, शर्ट फाड़ दी और मेरे चेहरे पर चाय फेंक दी। जब मैंने खुद को बचाने की कोशिश की, तो उन्होंने मेरी सोने की चेन भी तोड़ दी।”
इस घटना के बाद TTE ने चारबाग GRP थाने में शिकायत दर्ज कराई है। रेलवे प्रशासन ने बताया कि FIR दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है।
जनरल टिकट लेकर स्लीपर में सफर
रेलवे सूत्रों के अनुसार, महिलाएं जनरल टिकट लेकर स्लीपर कोच में सफर कर रही थीं, जो कि पूरी तरह अवैध है। जब TTE ने नियमों के तहत कार्रवाई करनी चाही, तो उन्होंने हंगामा कर दिया और हिंसक हो गईं।
चारबाग स्टेशन पर पहुंचने पर GRP ने महिलाओं को ट्रेन से उतारा, लेकिन वे बाराबंकी में दोबारा ट्रेन में चढ़ गईं। आखिरकार उन्हें चारबाग पहुंचने पर फिर से नीचे उतारा गया और शिकायत दर्ज की गई।
रेलवे प्रशासन ने क्या कहा
नॉर्दर्न रेलवे के सीनियर DCM कुलदीप तिवारी ने बताया,
“TTE पर हमला करने वाली महिलाओं के खिलाफ चारबाग GRP में केस दर्ज किया गया है। जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, यह मामला न सिर्फ कानूनी उल्लंघन का है, बल्कि रेलवे कर्मियों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है।
अब देखना होगा कि रेलवे प्रशासन इस ‘ट्रेन के अंदर के हंगामे’ पर कितना सख्त रुख अपनाता है।