….इस IPS का नंबर लड़कियों के मोबाइल में रहता था सेव, आईजी Shivdeep ने नौकरी छोड़ी, केंद्र सरकार ने इस्तीफा किया मंजूर

....This IPS's number was saved in girls' mobile, IG Shivdeep left the job, Central Government accepted his resignation.

IPS Resign। चर्चित IPS अफसर का इस्तीफा सरकार ने मंजूर कर लिया है। केंद्र सरकार ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है। बिहार कैडर के चर्चित आइपीएस अधिकारी और आइजी शिवदीप लांडे ने पिछले साल ही इस्तीफा दिया था। हालांकि चर्चा थी कि उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया गया है।

इस बीच उन्हें नयी जिम्मेदारी भी दी गयी थी, लेकिन अब उनका इस्तीफा मंजूर करने की जानकारी आयी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनका इस्तीफा मंजूर करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है। शिवदीप लांडे बिहार कैडर के 2006 बैच के आइपीएस हैं। पिछले साल सितंबर में पूर्णिया आइजी रहते उन्होंने पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया था।

इससे संबंधित पत्र पुलिस मुख्यालय को भेजा गया था, जिसके बाद उनको आवेदन पर विचार किया जा रहा था। मुख्य सचिव के माध्यम से उनका इस्तीफा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया था जहां इसे मंजूरी दे दी गई। मालूम हो कि शिवदीप लांडे ने खुद अपने फेसबुक पेज पर इस्तीफा दिए जाने की सूचना सार्वजनिक की थी।

मैंने भारतीय पुलिस सर्विस (आइपीएस) से त्यागपत्र दिया है, लेकिन मैं बिहार में ही रहूंगा और आगे भी बिहार मेरी कर्मभूमि रहेगी। जय हिन्द।

IPS शिवदीप लांडे पहले बने थे IRS : 29 अगस्त 1976 को महाराष्ट्र के अकोला में शिवदीप वामनराव लांडे का जन्म हुआ. पढ़ाई में बेहतर लांडे पहले इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किये फिर सिविल सेवा की ओर बढ़ गए. आईपीएस बनने से पहले शिवदीप राजस्व विभाग में (IRS) अधिकारी बने. हालांकि 2006 में अच्छे अंक के साथ IPS बने. शिवदीप लांडे को बिहार कैडर मिला. इसके बाद लांडे की बिहार में एंट्री हुई।

 शिवदीप लांडे की पहली नियुक्ति मुंगेर जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र जमालपुर में हुई. यहां पर उन्होंने अपना इरादा दिखा दिया कि वह किसी भी कीमत पर अपराधियों के साथ नरमी नहीं बरतेंगे. यहां से कारवां शुरू हुआ वह पटना, अररिया, पूर्णिया तक जारी रहा। पटना (मध्य क्षेत्र) के एसपी बनकर जब लांडे आए तो अपराधियों के पसीने छूटने लगे. लहरिया कट मारने वाले मनचले, खौफ खाने लगे।

 लांडे के क्रेज का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लड़कियों के मोबाइल में उनका नंबर सेव रहता। जब भी किसी को समस्या हो वहां पर लांडे की उपस्थिति रहती थी. यहां तक कि जब उनका ट्रांसफर हुआ तो, लोग हाथों में कैंडल लिए सड़क पर उतर आए। इसी बीच वह केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर 3 साल के लिए महाराष्ट्र गए. जब वहां से लौटे तो लोग कहने लगे ‘सिंघम रिटर्न’. फिल्म सिंघम तो बाद में बनी, लांडे बिहार के लिए पहले से ही ‘सिंघम’ थे. कभी उन्हें डीआईजी बनाया गया तो कभी आईजी के पद पर नियुक्ति हुई. जहां-जहां गए अपनी छाप छोड़ते गए।

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