सब इंस्पेक्टर की हत्या या आत्महत्या ? बैरक में पंखे में लटकी मिली लाश, परिजनों ने कहा, हत्या की गयी है, पुलिस ने शुरू की जांच…
Sub Inspector's murder or suicide? Body found hanging from fan in barrack, family said, it is murder, police started investigation...

Police News : सब-इंस्पेक्टर राजेश सिंह का शव बैरक के अंदर पंखे से लटका हुआ मिला। पुलिस इसे आत्महत्या का मामला मानकर जांच कर रही है, वहीं परिजन इसे हत्या बता रहे हैं। मृतक की बहन ने कई गंभीर सवाल उठाए हैं। घटना बिहार के गयाजी का है, जहां बीएमपी में पदस्थ सब इंस्पेक्टर का शव मिला है।
सब-इंस्पेक्टर (SI) राजेश सिंह का शव संदिग्ध परिस्थिति में बैरक के अंदर पंखे से लटका मिला। घटना के बाद पूरे कैंपस में हड़कंप मच गया। हालांकि पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है, लेकिन मृतक के परिजन इसे हत्या बता रहे हैं।मृतक की पहचान राजेश सिंह (निवासी- गंगाजल, सारण) के रूप में हुई है। उनका परिवार वर्तमान में हाजीपुर में रहता है। राजेश की बहन संगीता कुमारी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह खुदकुशी नहीं, बल्कि हत्या है।
संगीता ने बताया कि शनिवार रात करीब 9 बजे उन्हें भाई की मौत की खबर मिली। जब वे परिवार के साथ गयाजी पहुंचीं तो देखा कि भाई का शव बैरक में पंखे से लटका हुआ था।
उन्होंने कहा—
“भाई का शव झूल रहा था लेकिन घुटने मुड़े हुए थे और नीचे रेत पड़ी थी, जिसमें कई लोगों के पैरों के निशान साफ दिख रहे थे। बैरक में रेत का होना और मौके पर FSL टीम को न बुलाना कई सवाल खड़े करता है। अधिकारियों ने जल्दबाजी में मेरे हस्ताक्षर करा लिए, जबकि बच्चों के आने का भी इंतजार नहीं किया।”
परिजनों ने दावा किया कि बैरक के कुछ कर्मियों ने दबी जुबान में बताया कि राजेश का किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था। दरअसल, शाम को उन्होंने 35 रुपए का भूंजा खरीदा था और उसे सबमें बांट रहे थे, जिसमें एक महिला कर्मी भी मौजूद थी। इसी बात पर विवाद होने की चर्चा है। हालांकि इस बारे में जवान खुलकर बोलने से बच रहे हैं।
साथी जवानों ने साधी चुप्पी
इस मामले पर बीएमपी-3 के SI उमेश कुमार ने सिर्फ इतना कहा कि यह हत्या है या आत्महत्या, फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। जांच चल रही है और पुलिस अपनी प्रक्रिया पूरी कर रही है।मृतक राजेश सिंह ने साल 2000 में बतौर सिपाही बीएमपी जॉइन किया था। उसके बाद से वे लगातार यहीं पर तैनात रहे।
बीच-बीच में कुछ महीनों के लिए उन्हें बिहार के अन्य जिलों में भेजा गया, लेकिन बाद में फिर से बोधगया स्थित बीएमपी-3 कैंपस में उनकी पोस्टिंग हो गई। राजेश बैरक नंबर-300 में रहते थे।