नयी दिल्ली । झारखंड सरकार द्वारा गिरिडीह स्थित तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के बाद जैन समाज में रोष है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित इंडिया गेट पर रविवार को ‘श्री सम्मेद शिखरजी’ (Shri Sammed Shikharji) को पर्यटन स्थल घोषित करने के झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ जैन समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया। जैन समुदाय के लोगों ने मुंबई, अहमदाबाद और दिल्ली के इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली के प्रगति मैदान और इंडिया गेट पर बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग जमा हुए और इस फैसले को वापस लेने की अपील की। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जैन समाज का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति के पास ज्ञापन सौंपने राष्ट्रपति भवन पहुंचा।
बीते 21 दिसंबर दिन बुधवार को जैन समाज के लोगों ने यमुनापार में झारखंड सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।इस दौरान जैन समाज के लोगों का कहना था कि सम्मेद शिखरजी हमारे बहुत बड़े तीर्थ स्थलों में से एक है। यदि वहां पर पर्यटन या मनोरंजन स्थल बना दिया गया तो, उस जगह मांस-मदिरा की बिक्री होगी। साथ ही पेड़ों को अवैध रूप से काटा जाएगा। साथ ही पत्थरों का अवैध खनन होगा। जिसकी वजह से हमारे संतों का मोक्ष स्थान प्रदूषित हो जाएगा।
लोगों का आरोप है कि झारखंड सरकार ने सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित कर के जैन समाज की भावनाओं को चोट पहुंचाई है। राज्य सरकार का यह फैसला केंद्र सरकार की ओर से क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने के बाद झारखंड सरकार ने एक संकल्प जारी कर इसे पर्यटन स्थल घोषित कर दिया। झारखंड सरकार ने जिला प्रशासन की अनुशंसा पर यह फैसला लिया। इस फैसले के बाद जैन समुदाय नाराज हो गया। बवाल तब और बढ़ गया जब क्षेत्र में कुछ दिन पहले शराब पीते एक युवक का वीडियो वायरल हो गया। जैन समुदाय के लोगों ने कहा कि राज्य सरकार के क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित होने के बाद से धर्म में आस्था नहीं रखने वालों और मांस-मदिरा का सेवन करने वालों की भीडजैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है।
जैन समाज के लोगों ने झारखंड सरकार को फैसला वापस न लेने पर भूख हड़ताल व उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी थी। सांसद मनोज तिवारी ने इस मामले को संसद में भी उठाया। इसी क्रम में शास्त्री पार्क, गौतमपुरी, उस्मानपुर, कैथवाड़ा के जैन समाज की सैकड़ों महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों ने पैदल मार्च कर दुकानों को बंद कराया और सीलमपुर के एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थाल घोषित करने से इस तीर्थस्थल को भारी नुकसान होगा। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि झारखंड सरकार को तुरंत इस फैसले को वापस लेना चाहिए।