“थाने के बड़े बाबू को वहां जाना चाहिए था, इतना डरपोक नहीं होना चाहिए”: बोकारो एसपी की ‘गोपनीय’ बातों का जयराम महतो ने किया खुलासा

"The senior officer of the police station should have gone there, he should not have been so timid": Jairam Mahato revealed the 'confidential' things of Bokaro SP

बोकारो: हमें सरकार का पक्ष रखना पड़ता है, लेकिन ईमानदारी से कहूं तो बड़े बाबू को वहां जाना चाहिए था, इतना डरपोक नहीं होना चाहिए”…डुमरी विधायक जयराम महतो ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बोकारो एसपी के साथ हुई गोपनीय बातचीत को सार्वजनिक कर दिया है। यह बातचीत उस घटना के बाद हुई थी, जब बोकारो में गोलीबारी के दौरान विधायक मौके पर पहुंचे थे।

 

पलामू के परिसदन भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयराम महतो ने बताया कि बोकारो की उस घटना के बाद उन्होंने तत्कालीन एसपी से मुलाकात की थी। अब चूंकि एसपी का तबादला हो चुका है, इसलिए वे यह बातचीत सार्वजनिक कर रहे हैं।

 

विधायक महतो के मुताबिक, एसपी ने उनसे कहा था –

“हमें सरकार का पक्ष रखना पड़ता है, लेकिन ईमानदारी से कहूं तो बड़े बाबू को वहां जाना चाहिए था, इतना डरपोक नहीं होना चाहिए।”

 

महतो ने आगे कहा कि चूंकि एसपी उम्र में उनसे केवल दो साल बड़े हैं, इसलिए उन्होंने खुलकर बात की। साथ ही एसपी ने यह भी कहा था कि मीडिया में कही गई बातों को दिल पर न लें, क्योंकि “हमलोगों की भी मजबूरियां होती हैं।”

 

इंस्पेक्टर खुद बैलगाड़ी की तरह बालू-कोयला ढो रहे”

विधायक ने बोकारो क्षेत्र में अवैध खनन को लेकर पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी खुद खनन माफियाओं की गाड़ियों को हांकते नजर आते हैं।

उन्होंने कहा, “मैं एक जनप्रतिनिधि होने के नाते लगातार आवाज उठा रहा हूं, लेकिन राज्य सरकार की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। इस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”

 

पलामू को उपराजधानी बनाने की मांग दोहराई

मीडिया से बात करते हुए जयराम महतो ने एक बार फिर पलामू को झारखंड की उपराजधानी बनाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने चुनावी वादों में इस विषय को उठाया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

 

स्थानीय नीति पर उठाए सवाल

पूर्वोत्तर राज्यों का उदाहरण देते हुए महतो ने कहा कि वहां बाहरी लोग काम कर सकते हैं, लेकिन जमीन नहीं खरीद सकते। “झारखंड में अब तक स्थानीय नीति नहीं बन पाई है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि राज्य के सभी विधायक और सांसद प्रधानमंत्री से मिलकर इस मुद्दे पर मार्गदर्शन मांगें।

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