रांची। विधानसभा शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड राज्य थाली में परोस कर नहीं मिला है। कई लोगों ने इसके लिए कुर्बानी दी है। कई लोग शहीद हुए हैं. कई मां विधवा हुई, कईयों ने पिता और कईयों ने अपना भाई खोया है। राज्य में विपक्ष की राजनीति ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई के दरवाजे तक सीमित है. रोज ये लोग ईडी के ऑफिस जाकर दरवाजे पर खड़े हो जाते हैं। वहां अंदर से कोई कागज फेंकता है,

झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा सदन के अंतिम दिन विपक्ष के सभी लोग उठ कर चले गए शायद यह कड़वी बातें सुनने के आदी नहीं हैं। 20 वर्षों तक मखमल के जिस खाट पर इन्होंने अपना समय गुजारा है। ,धूप-छांव, दु:ख-तकलीफ क्या होती है। इनको कभी एहसास नहीं। गरीबी की मार, महामारी की मार, सूखाग्रस्त की मार क्या होती है इनका सामना इनको करना पड़ा नहीं। बल्कि इसके इतर राज्य में राशन कार्ड लेकर लोग भात-भात करके जान दे दी। सीएम हेमंत ने कहा कि 20 साल तक ये लोग शासन में रहे. चाहते तो 1932 आधारित स्थानीय नीति लागू करा सकते थे. लेकिन ऐसा नहीं कर सके। न नीति बना सके और न ही ओबीसी का आरक्षण का दायरा बढ़ा सके। एक बार कोशिश भी कि 1932 लाने कि तब राज्य में आग लग गया, हिंसा हुई. हमारी सरकार की मंशा ठीक है. जब हमलोगों ने 1932 लाया लोग फूल माला लेकर आये।

अवैध खनन को लेकर एसआईटी होगी गठित

सीएम हेमंत सोरेन ने ईडी जांच पर कहा कि एजेंसी कहती है कि एक हजार करोड़ का घोटाला हुआ है. केंद्र को बताना चाहिए कि आपने कितना रेल रैक उपलब्ध कराया. यहां सिर्फ ट्रक और ट्रेक्टर बदनाम है. जबकि ट्रेन अवैध खनन में शामिल है. हमलोग एसआईटी गठन करने जा रहे हैं. केंद्र सरकार को पत्र लिखे हैं. पत्र लिखने के बाद केंद्र हरकत में आई है। ईडी ने ऐसा माहौल बना रखा है कि राज्य में कोई निवेश नहीं करना चाहता। कोई भी पूंजीपति निवेश करने से डर रहा है. जबकि हमारी नीतियों का बड़े बड़े बिजनस मैन ने तारीफ की. लेकिन उन्हें डर है कि ईडी किसके दरवाजे पर दस्तक देगी।

नियोजन नीति पर निकालेंगे कोई रास्ता

सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि युवाओं को निराश नहीं होना है. नौजवानों के लिए जल्द ही रास्ता निकालेंगे. गांव-गांव जाकर रोजगार सृजन के लिए व्यवस्था बना रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि चपरासी के पद पर ग्रेजुएट तक फॉर्म भर रहे हैं. चिंता की बात नहीं है, हम इसका रास्ता निकलेंगे। झारखंड के नौजवान को चिंता करने की जरूरत नहीं है। 20 साल के वातावरण में बदलाव हो रहा है। कई नीतियां बनायीं, कई उद्योग शुरू हुए। हमारी नीति से बड़े-बड़े उद्योग घराने खुश थे। इन्हें यह नहीं पच रहा है कि एक आदिवासी नौजवान के नेतृत्व में सरकार काम कर रही है।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...