गोली नहीं, प्यास मार डालेगी – गाजा में पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे 20 लाख लोग, बच्चों की जान पर बन आई

गाजा: इजरायल-हमास युद्ध की आग अब धीरे-धीरे जीवन की बुनियादी जरूरतों को भी निगल रही है। गोली-बमों की आवाजें अब प्यास और भूख की चीखों में बदल रही हैं। गाजा पट्टी में हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि 20 लाख फिलिस्तीनी — जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं — अब पानी की एक बूंद के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
ईंधन की नाकेबंदी = जल संकट = मौत
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (OCHA) ने चेतावनी दी है कि अगर गाजा में ईंधन की आपूर्ति तुरंत बहाल नहीं की गई, तो हालात नरक से भी बदतर हो जाएंगे।
UNICEF के मुताबिक,
“अगर नाकेबंदी यूं ही जारी रही, तो आने वाले 100 दिनों में बच्चे प्यास से मरने लगेंगे।”
ईंधन के बिना ना तो पानी का उत्पादन हो पा रहा है, ना ही उसका शुद्धिकरण या वितरण।
पानी की व्यवस्था ठप पड़ने से गंदे पानी से फैलने वाली बीमारियां और कुपोषण बढ़ रहा है। मई में भर्ती कुपोषित बच्चों की संख्या अप्रैल से 50% ज्यादा हो गई है।
गोलियों से ज़्यादा खतरनाक है यह ‘मौन’ नरसंहार
गैर-सैन्य क्षेत्रों में भी गोलाबारी की खबरें सामने आई हैं, खासकर उन स्थानों पर जहाँ लोग सहायता पाने के लिए इकट्ठा होते हैं।
इजरायली सेना ने हाल ही में एक और नया विस्थापन आदेश जारी किया है।
आश्रय स्थलों की स्थिति बद से बदतर है — कई को मरम्मत की सख्त ज़रूरत है।
बच्चे हो रहे हैं मानसिक बीमारियों का शिकार
OCHA और WHO ने बताया कि गाजा के बच्चे अत्यधिक मानसिक तनाव झेल रहे हैं।
1,000 से ज्यादा बच्चों को भावनात्मक सहारा देने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए गए।
WHO ने सैकड़ों राहतकर्मियों को मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा में प्रशिक्षित किया है।
आखिरी उम्मीद: राफा से सीमित ईंधन सप्लाई
हाल ही में राफा क्रॉसिंग से कुछ ईंधन गाजा में पहुंचा, जिससे दक्षिण गाजा की कुछ सेवाओं को अस्थायी राहत मिली है। लेकिन यह अस्थायी जीवनरेखा ज्यादा समय तक टिक नहीं सकती, जब तक पूरी ईंधन आपूर्ति बहाल नहीं होती।
गाजा में अब हथियारों की नहीं, पानी और ईंधन की लड़ाई चल रही है।
अगर दुनिया ने आंखें बंद रखीं, तो इतिहास गवाह बनेगा उस ‘मौन नरसंहार’ का — जहाँ बच्चे बंदूक से नहीं, प्यास से मरे।