‘लाल आतंक’ का सबसे बड़ा पतन…298 नक्सलियों ने एक साथ डाले हथियार…जंगल छोड़ अब शांति की राह पर…

बीजापुर-दंतेवाड़ा में ऐतिहासिक सरेंडर — हाथों से AK-47 गिराई, पर विचारधारा अभी जिंदा!

‘लाल आतंक’ का सबसे बड़ा पतन! 298 नक्सलियों ने एक साथ डाले हथियार — जंगल छोड़ अब शांति की राह पर, पर बोले “संघर्ष खत्म नहीं हुआ…”

छत्तीसगढ़। नक्सलवाद के गढ़ कहे जाने वाले बस्तर इलाके में गुरुवार को वो हुआ जिसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी। बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों में कुल 298 नक्सलियों ने एक साथ हथियार डाल दिए। यह राज्य के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक सरेंडर बताया जा रहा है।

 बीजापुर में 158, दंतेवाड़ा में 140 नक्सलियों ने छोड़ा जंगल

बीजापुर के भैरमगढ़ में 158 और दंतेवाड़ा में 140 नक्सलियों ने हथियार पुलिस के हवाले कर दिए। नक्सलियों ने AK-47, इंसास, SLR, कार्बाइन, बीजीएल लॉन्चर और वॉकी-टॉकी जैसे 70 से अधिक हथियार सौंपे।

सरेंडर करने वालों में नक्सली सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM), स्पेशल जोनल कमेटी मेंबर (SZCM) और डिविजनल कमेटी मेंबर (DCM) शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, कई नक्सली वर्षों से जंगलों में सक्रिय थे और भारी इनामी सूची में थे।

 “हम सरेंडर नहीं कर रहे, बस हथियार सौंप रहे हैं” — बोले नक्सली

भैरमगढ़ में पहुंचे नक्सलियों ने साफ कहा,

“हमारा संघर्ष खत्म नहीं हुआ, बस अब लड़ाई बिना हथियार के होगी।”

यानी नक्सल विचारधारा अभी भी उनके मन में ज़िंदा है। वे अब समाज में रहकर “विचार की लड़ाई” जारी रखने की बात कह रहे हैं।

 सीएम साय और अमित शाह का सख्त संदेश

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि “उत्तर बस्तर और अबूझमाड़ नक्सलमुक्त घोषित हो चुके हैं। बस्तर अब शांति और विकास के नए युग में प्रवेश कर रहा है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार की नीति दो टूक है —

“हिंसा का कोई स्थान नहीं, जो शांति चाहता है उसका स्वागत है… लेकिन जो बंदूक उठाएगा, उसे सुरक्षा बलों का सामना करना होगा।”

वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “नक्सलवाद का लाल कॉरिडोर अब टूट चुका है। 2013 में जहां 126 जिले प्रभावित थे, अब सिर्फ 3 जिलों में खतरा बचा है।”

 कांकेर-सुकमा में भी सरेंडर का सिलसिला जारी

सिर्फ गुरुवार ही नहीं, बुधवार को भी सरेंडर की लहर चली थी। कांकेर में 32 महिलाओं समेत 50 नक्सलियों ने बीएसएफ कैंप में आत्मसमर्पण किया था। वहीं सुकमा में 27 नक्सलियों ने हथियार डाले।

यानी सिर्फ दो दिनों में छत्तीसगढ़ में कुल 375 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है — जो नक्सल आंदोलन की जड़ों को हिलाने वाला आंकड़ा है।

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