सिल्ली से रेस्क्यू किए गए बाघ को पलामू टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया, वन विभाग की बड़ी सफलता
Tiger rescued from Silli was released in Palamu Tiger Reserve, a big success for the forest department

रांची के सिल्ली स्थित मारदू गांव से रेस्क्यू किए गये बाघ को आज सुबह पलामू टाइगर रिजर्व में छोड़ दिया गया. बाघ को बुधवार देर शाम मारदू गांव के एक घर से रेस्क्यू किया गया था.
बुधवार देर रात बाघ सिल्ली के मारदू गांव में पूरनचंद महतो के घर में घुस गया था. गांव के आसपास का इलाका पश्चिम बंगाल की सीमा के बहुत पास है. संभवत वहीं से रॉयल बंगाल टाइगर मारदू गांव में पहुंचा था.
गुरुवार यानी आज सुबह 7 बजे बाघ को पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में छोड़ दिया गया. गौरतलब है कि बाघ के गांव में घुस जाने से ग्रामीणों में दहशत थी. ग्रामीणों ने बाघ का वीडियो भी बनाया था जिसमें वह मकान के अंदर बैठा हुआ नजर आ रहा था.
पूरनचंद महतो ने समझदारी दिखाई और मकान का दरवाजा बंद करके वन विभाग और पुलिस को सूचना दी थी. प्रशासन ने बाघ की मौजूदगी के दौरान बीएनएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लगा दी थी.
बुधवार को बाघ को किया गया था रेस्क्यू
गौरतलब है कि वन विभाग की टीम बुधवार की देर शाम बाघ को रेस्क्यू करने के बाद पलामू टाइगर रिजर्व पहुंची जहां डॉक्टरों ने मेडिकल जांच की. जब डॉक्टर और पलामू टाइगर रिजर्व की टीम आश्वस्त हो गयी कि बाघ पूरी तरह से सुरक्षित है तब उसे वनक्षेत्र में छोड़ दिया गया.
बाघ को किस इलाके के जंगल में छोड़ा गया है, सुरक्षा कारणों से इसकी जानकारी नहीं दी गयी है.
2023 से ही पलामू में भ्रमणशील है बाघ
वन विभाग का कहना है कि बाघ 2023 से ही पलामू में है. बाघ इस दौरान हजारीबाग, चतरा और गुमला होते हुए बंगाल की सीमा पर स्थित पुरुलिया तक पहुंच गया.
वापसी में खूंटी गया और फिर पलामू की तरफ बढ़ गया लेकिन आबादी की वजह से घबरा कर रास्ता बदला और सिल्ली पहुंच गया. यहीं बाघ एक घर में घुस गया था. पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों का कहना है कि बाघ 800 किमी लंबा कॉरिडोर बना चुका है जो मध्य प्रदेश, झारखंड और बंगाल तक फैला है.
इस बाघ का नाम किला बाघ है. दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में एक पुराना किला है और इस बाघ को सबसे पहले इसी किले के पास ही देखा गया था. तभी से इसका नाम किला बाघ रख दिया गया.