H-1B वीज़ा फीस पर US प्रशासन का बड़ा स्पष्टीकरण: नए आवेदकों पर ही लागू होगी $100,000 की फीस, मौजूदा धारकों को राहत

वाशिंगटन डीसी: अमेरिकी प्रशासन ने H-1B वीज़ा पर लगाई गई सालाना $100,000 की भारी-भरकम फीस को लेकर फैले हड़कंप के बीच एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया उद्घोषणा पत्र के बाद पैदा हुई अनिश्चितता को दूर करते हुए, एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया कि यह नई फीस केवल नए वीज़ा आवेदकों पर लागू होगी, जिससे मौजूदा H-1B वीज़ा धारकों और उनके परिवारों को तत्काल राहत मिली है।
यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है जब शुक्रवार को (अमेरिकी समयानुसार) राष्ट्रपति ट्रंप ने “Restriction on Entry of Certain Nonimmigrant Workers” शीर्षक से एक उद्घोषणा पत्र जारी किया था। इस नए नियम के तहत, H-1B वीज़ा आवेदन पर $100,000 (लगभग 88 लाख रुपये) की भारी फीस का प्रस्ताव था, जिसने अमेरिका में कार्यरत विदेशी पेशेवरों, विशेष रूप से भारतीयों, के बीच गहरी चिंता पैदा कर दी थी।
मौजूदा धारकों को मिली राहत
प्रशासनिक अधिकारी ने एएनआई को बताया, “जो लोग पहले से अमेरिका में हैं, बाहर जा रहे हैं या भारत आने-जाने वाले हैं, उन्हें रविवार से पहले वापस लौटने की कोई जरूरत नहीं है। $100,000 की नई फीस केवल नए आवेदनकर्ताओं के लिए है, मौजूदा धारकों के लिए नहीं।” यह जानकारी उन अफवाहों और सलाहों के विपरीत है, जिनमें कंपनियों और इमिग्रेशन वकीलों ने मौजूदा H-1B वीज़ा धारकों और उनके परिवारों को 21 सितंबर 2025 की समय सीमा से पहले अमेरिका लौटने की सलाह दी थी ताकि वे अतिरिक्त शुल्क से बच सकें। माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कंपनियों ने भी अपने कर्मचारियों को ‘foreseeable future’ तक अमेरिका में बने रहने की सलाह दी थी।
फीस में ऐतिहासिक बढ़ोतरी
हालांकि, यह नई फीस मौजूदा धारकों पर लागू नहीं होगी, लेकिन $100,000 की बढ़ोतरी H-1B वीज़ा इतिहास में सबसे बड़ी मानी जा रही है। अभी तक H-1B वीज़ा के लिए फीस $2,000 से $5,000 के बीच थी। इस भारी बढ़ोतरी से स्टार्टअप, छोटे कारोबार और भारतीय आईटी पेशेवरों पर गहरा असर पड़ने की आशंका है। अमेरिकी नागरिकता और इमिग्रेशन सर्विस (यूएससीआईएस) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच जारी लगभग 4 लाख H-1B वीज़ा में से 72 प्रतिशत भारतीयों को मिले थे।
भारत सरकार ने जताई चिंता
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस मामले पर बयान जारी करते हुए कहा है कि भारत सरकार इन रिपोर्टों का अध्ययन कर रही है और इसके पूरी तरह प्रभावों का मूल्यांकन किया जा रहा है। MEA ने इनोवेशन और रचनात्मकता में दोनों देशों की इंडस्ट्रीज के निवेश पर जोर देते हुए कहा कि कुशल कर्मचारियों की आवाजाही दोनों देशों की तकनीकी प्रगति, नवाचार और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है। मंत्रालय ने यह भी चिंता जताई कि नए नियमों से मुश्किलें आएंगी और इसका परिवारों पर मानवीय असर पड़ सकता है। भारत सरकार ने ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी अधिकारियों से इस व्यवधान का उचित समाधान निकालने की अपील की है, ताकि पेशेवर और उनके परिवार अनावश्यक परेशानी का सामना न करें।
यह स्पष्टीकरण H-1B वीज़ा धारकों के लिए एक बड़ी राहत है, लेकिन नए आवेदकों के लिए बढ़ी हुई फीस एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी रहेगी।









