झारखंड सरकार का बड़ा निर्णय: 100 स्कूलों के अनुदान पर रोक, शिक्षा व्यवस्था को लगा बड़ा झटका!
Jharkhand government's big decision: Grants to 100 schools stopped, a big blow to the education system!

झारखंड सरकार ने लगभग 100 उच्च विद्यालयों का अनुदान रोक दिया है। यह वे स्कूल हैं जिन्हें झारखंड सरकार से स्थापना की स्वीकृति मिली थी और जो पिछले 15 वर्षों से अनुदान प्राप्त कर रहे थे। अचानक अनुदान रोकने से इन स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों के सामने गंभीर वित्तीय संकट उत्पन्न हो गया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भी इन विद्यालयों से अनुदान के लिए आवेदन मांगे गए थे, और इसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) ने स्थलीय जांच के बाद अपनी अनुशंसा शिक्षा विभाग को भेजी थी। इसके बावजूद, इन स्कूलों का अनुदान जारी नहीं किया गया।
झारखंड राज्य वित्त रहित शैक्षणिक संस्थान अनुदान अधिनियम 2004 और इसके संशोधित नियमावली 2015 के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत संस्थानों को अनुदान देने का प्रावधान है। ऐसे में, बिना किसी स्पष्ट कारण के अनुदान रोकने पर सरकार की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं। कई स्कूलों का अनुदान शासी निकाय के गठन न होने के कारण रोका गया है, जबकि यह जिम्मेदारी झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) की है, जो हर तीन साल में शासी निकाय का गठन करती है। इस स्थिति में सवाल उठता है कि जब JAC ने शासी निकाय का गठन नहीं किया, तो इसके परिणामस्वरूप स्कूलों को क्यों दंडित किया जा रहा है?
यह खबर सामने आई है कि जमशेदपुर स्थित स्वर्गीय निर्मल महतो उच्च विद्यालय, घोड़ाबांधा को भी अनुदान से वंचित कर दिया गया है। यह विद्यालय राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन से जुड़ा हुआ है, जिससे यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक चूक है या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश का हाथ है।
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए रांची के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) विनय कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें इस विषय की पूरी जानकारी नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि अनुदान रोकने का कारण स्कूलों की नकारात्मक रिपोर्ट हो सकती है। यह संभव है कि विद्यालय की कमजोर संरचना, आवश्यक सुविधाओं की कमी, या फिर जांच समिति द्वारा विद्यालय को अनुदान के योग्य न मानने जैसे कारणों से अनुदान रोका गया हो। उन्होंने यह भी कहा कि बीईईओ ने कुछ विद्यालयों की जांच की थी, जो इस निर्णय के आधार हो सकती है।