34 हज़ार सैलरी..खाते में 4.44 लाख हर महीने…7 करोड़ का घोटाला कर अब छोड़ गया सुसाइड नोट…16 दिन से गायब है वो बाबू…
मध्य प्रदेश में 7 करोड़ का सरकारी घोटाला, क्लर्क संदीप शर्मा लापता — सुसाइड नोट में खुद कबूला गुनाह

मध्य प्रदेश के जबलपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे प्रशासनिक सिस्टम को हिला कर रख दिया है। स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय के एक क्लर्क संदीप शर्मा पर 7 करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगा है। आरोपी 28 फरवरी से लापता है, और अब उसका सुसाइड नोट सामने आने से मामला और भी रहस्यमय हो गया है।
34 हज़ार की सैलरी पर 4.44 लाख हर महीने का खेल
संदीप शर्मा की मासिक सैलरी महज़ ₹34,000 थी, लेकिन वह अपने खाते में हर महीने ₹4.44 लाख रुपये ट्रांसफर कर रहा था। जांच में पता चला कि वह फर्जी बिल बनाकर अधिकारियों की ID और पासवर्ड से डिजिटल सिस्टम में हेराफेरी करता था।
वह रकम अपने रिश्तेदारों और पत्नी स्वाति शर्मा के खातों में भेजता रहा। जांच में रिटायर्ड कर्मचारियों की ग्रेच्युटी राशि तक के गबन का खुलासा हुआ है।
सुसाइड नोट में लिखी आखिरी बातें — “मैंने सबकी ID यूज़ की, अब जी नहीं सकता”
संदीप शर्मा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा —
“मैं संदीप शर्मा पूरे होशो-हवास में लिख रहा हूं कि जितनी भी ID का उपयोग हुआ है, सब मैंने किया है। मैंने सबका विश्वास तोड़ा, गलती मेरी है और सजा मुझे मिलनी चाहिए। किसी और को दोष न दें। अब परिवार से नज़रें नहीं मिला सकता, इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं।”
यह नोट सामने आने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। पुलिस अभी भी उसकी तलाश में जुटी है, लेकिन 16 दिन गुजरने के बाद भी उसका कोई सुराग नहीं मिला है।
बड़ी मछलियां भी शक के घेरे में
पहले यह घोटाला 55 लाख रुपये का लगा था, लेकिन अब जांच में राशि बढ़कर 7 करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है।
मामला खुलने के बाद सहायक संचालक प्रिया विश्नोई और संपरीक्षक सीमा अमित तिवारी को निलंबित कर दिया गया है, जबकि संयुक्त संचालक मनोज बरहैया का तबादला हुआ है।
लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन अधिकारियों के मोबाइल पर भुगतान से जुड़े OTP आए थे, उन्हें जांच समिति में ही शामिल कर लिया गया है।
MLA ने उठाए सवाल, सीएम से उच्चस्तरीय जांच की मांग
बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा —
“यह सिर्फ एक बाबू का खेल नहीं हो सकता। वरिष्ठ अधिकारियों की ID के बिना करोड़ों का ट्रांसफर संभव ही नहीं है।”
अब भी रहस्य बना है — जिंदा है या नहीं संदीप शर्मा?
सुसाइड नोट के बावजूद आरोपी संदीप शर्मा का शव नहीं मिला है। अब सवाल यही है कि क्या उसने सच में आत्महत्या कर ली या यह सब एक सुनियोजित फरारी थी?
7 करोड़ के इस घोटाले ने न केवल सरकारी सिस्टम की कमजोरियों को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखा दिया कि एक छोटा-सा क्लर्क भी करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर सकता है — और फिर ऐसे गायब हो सकता है जैसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया।