रांची: शासकीय कालेजों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने अनुबंध पर शिक्षकों की नियुक्ति की थी। ये शिक्षक को पिरियड के हिसाब से सरकार मानदेय का भुगतान करती है। अब इन पिरियड बेस टीचर ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लंबे समय से ये टीचर प्रति पिरियड के हिसाब से मानदेय बढ़ोत्तरी की मांग कर रहे हैं। शिक्षकों का आऱोप है कि उनकी मेहनत के बूते यूनिवर्सिटी का परफार्मेंस बेहतर हो रहा है, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति को लेकर कोई सुध विश्वविद्यालय नहीं ले रहा है।

यूजीसी के निर्देश के मुताबिक अलग-लग यूनिवर्सिटी में जरूरत के मुताबिक शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है। प्रत्येक घंटी के लिए शिक्षकों को 600 रूपये दिये जाते हैं। एक शिक्षक को अधिकतम एक दिन में 4 पिरियड ही लेने की अनुमति है। ऐसे में इनके मानदेय में काफी असमानताएं हैं. किसी शिक्षक को महीने में 10,000 तो किसी शिक्षक को 35,000 हजार मानदेय प्राप्त होता है। यह शिक्षक बार-बार सरकार से समान काम के बदले समान वेतन निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं.।

इस मामले में शिक्षकों का आरोप है कि राज्य सरकार के शिक्षा विभाग इन शिक्षकों के साथ दोहरी व्यवस्था अपना रही है। उन्होंने कहा यूजीसी गाइडलाइन के तहत पूरी तरह कहा गया है कि निर्धारित समय होने पर जेपीएससी के माध्यम से शिक्षकों को धीरे धीरे स्थायीकरण की ओर ले जाना है। वहीं समान काम के बदले समान वेतन भी देखना है. इसके बावजूद विभाग का इस ओर ध्यान ना देना, कहीं से भी विश्वविद्यालय और शिक्षक के हित में नहीं है।

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