शिक्षक ट्रांसफर: नये तरीके से इस बार शिक्षकों का होगा तबादला, ना पैसा और पैरवी की जरूरत, ना डीईओ-डीएसई के पास….

Teacher Transfer: This time teachers will be transferred in a new way, no need for money and lobbying, neither DEO-DSE has to…

Teacher Transfer : शिक्षकों को इस बार तबादले के लिए ना तो राजधानी में जी हुजूरी करनी होगी और ना ही पोस्टिंग के लिए डीईओ-डीएसई के सामने गिड़गिड़ाना पड़ेगा। सब कुछ आनलाइन और बिल्कुल पारदर्शी तरीके से होगा। यहां तक की अधिकारियों को भी पता नहीं रहेगा कि अधिकारियों का किस शिक्षक का तबादला कहां हो रहा है। जी हां बिहार में शिक्षक ट्रांसफर की ऐसी पॉलिसी तैयार की गयी है, जो पूरे देश में नजीर हो सकती है।

लंबे समय से लंबित शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया अब पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी तरीके से की जाएगी। शिक्षा विभाग के अनुसार 20 जून से ट्रांसफर लेटर जारी होंगे और 23 से 30 जून के बीच सभी शिक्षक अपने नए स्कूलों में योगदान देंगे। इस बार करीब 1.30 लाख शिक्षकों का तबादला होना है।

20 जून से मिलेंगे ट्रांसफर लेटर

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि यह अब तक की सबसे बड़ी तबादला प्रक्रिया में से एक होगी, जो तकनीकी रूप से फुलप्रूफ और भ्रष्टाचार रहित तरीके से संपन्न होगी।शिक्षा विभाग ने बताया कि 20 जून से शिक्षकों को उनके नए स्कूलों का ट्रांसफर लेटर मिलना शुरू हो जाएगा। इसके बाद शिक्षक 23 जून से 30 जून के बीच अपने नए विद्यालयों में योगदान देंगे। विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को निर्देश दिया है कि वे समयबद्ध ज्वाइनिंग सुनिश्चित करें।

ई-शिक्षा कोष पोर्टल से मिलेगा ट्रांसफर स्कूल का विवरण

अपर मुख्य सचिव सिद्धार्थ ने बताया कि इस बार की तबादला प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन की गई है। शिक्षक ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपने नए विद्यालय की जानकारी देख सकेंगे। इससे उन्हें डीईओ कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और न ही किसी प्रकार की पक्षपात या सिफारिश की जरूरत पड़ेगी।

उन्होंने यह भी कहा, “अब शिक्षक गर्मी की छुट्टियां निश्चिंत होकर मना सकते हैं। उन्हें स्थानांतरण की प्रक्रिया के लिए परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।”

पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन, पारदर्शिता का वादा

शिक्षा विभाग ने तकनीकी और प्रशासनिक स्तर पर कई अहम सुधार किए हैं। ट्रांसफर प्रक्रिया के तहत पोर्टल पर आवेदन, दस्तावेजों का सत्यापन, वरीयता के आधार पर विद्यालय आवंटन सभी कुछ डिजिटल माध्यम से किया गया है। इससे न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि भ्रष्टाचार की संभावनाएं भी खत्म होंगी।

प्राथमिक से उच्च माध्यमिक तक के शिक्षक शामिल

इस प्रक्रिया में राज्य के प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक शामिल हैं। शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे शिक्षा व्यवस्था को अधिक संतुलित और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी। खासकर उन क्षेत्रों में जहां शिक्षकों की कमी थी, वहां अब आसानी से पदस्थापन किया जा सकेगा।

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