नयी दिल्ली । 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। मोदी सरकार की नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया। जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि आर्थिक फैसलों को बदला नहीं जा सकता। कोर्ट ने 2016 की नोटबंदी की वैध करार दिया है। इसी के साथ कोर्ट ने सभी 58 याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है। 4 जजों ने बहुमत से फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि 8 नवंबर, 2016 के नोटिफिकेशन में कोई त्रुटि नहीं मिली है। सभी सीरीज के नोट वापस लिए जा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी का फैसला लेते समय अपनाई गई प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी, इसलिए उस अधिसूचना को रद्द करने की कोई जरूरत नहीं है। कोर्ट ने ये भी कहा कि RBI को स्वतंत्र शक्ति नहीं कि वह बंद किए गए नोट को वापस लेने की तारीख बदल दे। वहीं कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार RBI की सिफारिश पर ही इस तरह का निर्णय ले सकती है। नोटबंदी के उद्देश्य का जिक्र करते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि ये मायने नहीं रखता है कि उद्देश्य पूरा हुआ या नहीं।

इससे पहले जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने पांच दिन की बहस के बाद 7 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना शामिल रहे।

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