वाराणसी : जो संसाधनों का रोना रोते हुए जिंदगी में पिछड़ जाने का बहाना बनाते हैं, उनके लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र अभिषेक यादव उदाहरण है। उन्होंने साबित कर दिखाया कि दिल में जज्बा और लगन हो तो हर राह आसान हो जाती है। हर मंजिल हासिल हो जाती है। स्विगी, जोमेटो डिलीवरी ब्वॉय का काम करते हुए उन्होंने बीएचयू में टॉप किया। 10 दिसंबर को विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उन्हें गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया जाएगा।

मामूली किसान हैं अभिषेक कि पिता


अभिषेक के पिता सुशील कुमार सिंह यादव एक किसान हैं। अभिषेक पढ़ना चाहते थे लेकिन पिता की कमाई इतनी नहीं थी तो अभिषेक ने नौकरी के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी। 

शाम को पांच बजे तक पढ़ना, फिर जाते थे खाना डिलीवर करने


अभिषेक सुबह से पढ़ाई करने बैठ जाते थे फिर शाम को पांच बजे खाना पहुंचाने जाते थे। इस तरह से अभिषेक ने परिवार की कमान भी संभाली और खुद की पढ़ाई जारी रखते हुए सफलता पाई। 

उम्मीद थी कि टाप थ्री में रहूंगा

अभिषेक बताते हैं कि टाप करूंगा, ऐसी तो उम्मीद नहीं थी लेकिन चूंकि तीसरे सेमेस्टर में सेकंड था, इसलिए उम्मीद थी कि टाप थ्री में रहूंगा। दिल्ली से परसों लौटा, सूची देख साथियों ने जानकारी दी, तो खुशी का ठिकाना न रहा। बुधवार को हास्टल पहुंचा तो साथियों विवेक सिंह, मुरलीधर, अनिवेश सिंह, अखिल सिंह, शाश्वत राठौर, नरपत जाखड़, अभिषेक वर्मा,संदीप कुमार, दीपक कुमार आदि ने स्वागत किया। मम्मी व टीचर की प्रेरणा, रूममेट का सहयोग

अभिषेक कहते हैं हमेशा कठिन परिश्रम करके ऊंचाइयां छूने के लिए मम्मी ने प्रेरित किया तो महादेव पीजी कालेज चिरईगांव में बीए में पढ़ाईं अध्यापिका डा. रेखा सिंह ने बीएचयू से पीजी की प्रेरणा दी। रूममेट मुरलीधर ने मेरी पढ़ाई में काफी सहयोग किया।दिल्ली में रहकर करेंगे सिविल सेवा की तैयारी

मेहनती अभिषेक के सपने भी ऊंचे हैं। उन्होंने डीयू में बीएड की प्रवेश परीक्षा दी है, परिणाम की प्रतीक्षा है। बताते हैं कि वहीं रहकर सिविल सेवा की तैयारी करेंगे।

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