गोड्डा। झारखंड में पुरानी पेंशन बहाल हो गई…एक संघर्ष को मुकाम मिल गया….कर्मचारियों पर लिपटी काली परछाई पीछे छूट गयी। OPS से NPS तक के सफर को देखें तो ये किसी दिवास्वप्न से कम नहीं था। संघर्ष पथ को कभी उम्मीदों की रौशनी जगमगाई, तो कभी निराशा की परछाई की इरादों पर चोट किया…।इस संघर्ष को अपनी लेखनी से वही बयां कर सकता है जिसने दिल से इस संघर्ष में साथ दिया। यूं तो संघर्ष किसी एक व्यक्ति विशेष से सफल नहीं होती, बल्कि उसमें जन मानस की भागीदारी काफी मायने रखती है। संघर्ष के साथी जितनी ईमानदारी से अपने नेतृत्वकर्ता का साथ देंगे, वो संघर्ष उतनी आसानी से मुकम्मल होगा।

ऐसे देखें तो, जब से झारखंड अपने अस्तित्व में आया हैं, तब से लेकर आजतक मात्र दो उदाहरण ही ऐसे मिले, जब संगठन का गठन एकल सूत्री मांग को लेकर किया गया और जिस मकसद से उसका गठन हुआ, उसमें 100% सफलता प्राप्ति हुई। ये संगठन हैं…

  1. NMOPS ..नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम झारखंड
  2. AJPMA …ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन झारखंड

पुरानी पेंशन की लड़ाई के अनुभव को जब एक जिला संयोजक ने अपनी कलम से साझा किया और HPBL की टीम के पास वो अनुभव की दास्तां पहुंची,.. तो उस अनुभव को शब्दों में पिरोना हमने अपनी जिम्मेदारी समझी। इसलिए नहीं, कि HPBL ने NMOPS की लड़ाई पर पग-पग साथ दिया, बल्कि इसलिए, क्योंकि NMOPS के इस संघर्ष को अन्य संगठन एक मिसाल के तौर पर लें। NMOPS ने OPS की लड़ाई में ये साबित किया कि इरादे हों नेक और कुछ कर गुजरने की हो चाहत, तो नामुकीन कुछ भी नहीं।

26 जून को जब मोहराबादी OPS के जयकारों से गूंज रहा था, उम्मीदों और हौसलों की परछाई परवान चढ़ रही थी और अफसर-चपरासी की भेद पाटकर जब संघर्ष के सुर एक साथ निकल रहे थे, तो HPBL की पूरी टीम उस समय के चक्र अपनी कलम से पिरो रहा था।HPBL एक मात्र मीडिया संस्थान था, पूरे संघर्ष के चक्रम को बिल्कुल करीब से देख रहा था। हमने हाथों में लहराती तख्तियां देखी थी…हमने हाथों में झंडे और गूंजते नारे देखे थे, हमने मोरहाबादी मैदान में ढोल लेकर जिला संयोजक को पूरे स्टेडियम में नाचते गाते देखा था। इस संयोजक का OPS की लड़ाई में काफी योगदान रहा, और वो हैं NMOPS गोड्डा जिला के संयोजक डा सुमन कुमार

NMOPS के गठन का उद्देश्य पुरानी पेंशन बहाली के लिए था जिसमें संगठन ने सफलता पाई। कर्मी न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में बहाल हुए और संघर्ष के बदौलत सभी कर्मी पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) के कर्मी बने।

AJPMA का गठन स्वास्थ्य विभाग में अनुबंधकर्मियों को नियमित कराने को लेकर थी जिसमें भी संगठन के सदस्य अनुबंध पर बहाल हुए और संघर्ष के बदौलत सभी नियमित कर्मचारी बने।

संगठन का गठन ही संघर्ष करने के लिए होता हैं,सभी संगठन अपनी अपनी भूमिका में लगे हैं परंतु सभी साथी को एक साथ लाभ मिल सके ऐसा कम ही देखने को मिलता है। राज्य में सबसे अधिक संख्या पारा शिक्षक की रही है। संघर्ष में सफलता काफी संख्या में पारा शिक्षक को मिली परंतु आज भी पारा शिक्षक काफी अधिक संख्या (करीब 47 हजार) में संघर्ष कर रहे हैं ऐसी ही अन्य विभागों में संगठनों का संघर्ष जारी हैं। मतलब साफ हैं की 100 प्रतिशत सफलता नहीं मिली। किसी भी संगठन के 100% सदस्य जब लाभान्वित होते हैं तो ये उस संगठन के लिए गौरव की बात होती है। ऐसे में संघर्षशील संगठन को लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करने के तौर तरीके पर आत्म विश्लेषण करना आवश्यक है।

डा सुमन कुमार ने अनुभव किये साझा

पुरानी पेंशन बहाली के उपरांत NMOPS के पारिवारिक मिलन समारोह में शिरकत करने के बाद अपने अनुभव को साझा करते हुए गोड्डा जिले के संयोजक डा सुमन ने कहा कि प्रकृति की गोद में बसा लतरातू डैम की अलौकिक छटा को निहारते हुए पारिवारिक मिलन सह-पेंशन सम्मान समारोह का आगाज अदभुत और अलौकिक थी। कल -कल करती जल धाराएं, पहाड़ी की कंदराओं, जंगल-झाड़ियो से घिरा हुआ यह डैम पर नव पेंशन प्राप्त कर्मी असीम उत्साह और आनन्द से लवरेज थे।


किसी कार्यक्रम की सफलता या असफलता किसी एक कार्यक्रम की खामियों से निर्धारित नहीं होती है बल्कि उनकी सफलता उस लक्ष्य को प्राप्त करने की होती है। जो हमने कठिन मेहनत कर प्राप्त कर लिया ।
इस आन्दोलन की कामयाबी की गाथा लिखी जा चुकी है। अब इसमें ब्यथा की कोई जगह नहीं है। सफल नेतृत्वकर्ता के कारण जो धैर्यवान, साहसवान, नेतृत्ववान, मृदु और मधुर भाषी, सहृदयवान जैसे व्यक्ति के हाथों में रहने के कारण ही आज हमारी खुशियां चर्मोत्कर्ष पर है। जिनके एक आहृवान पर विरान स्थान पर भी हजारों लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।


संगठन के नेतृत्वकर्ता के प्रति आभार जताते हुए कहा की अपनी नेतृत्व क्षमता को हम वंदन और अभिनंदन करते हैं। आने वाले कई पीढ़ियों तक जब भी पेंशन का इतिहास लिखा जाएगा। आपका नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगा। गोड्डा जिला आपके साथ था, है और युग युगान्तर तक रहेगा। तन,मन और धन से अनन्त काल तक।

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