DGP के इस्तीफे की कहानी: विवाद या नये पद का प्रस्ताव, जानिये क्या है डीजीपी अनुराग गुप्ता के इस्तीफे के पीछे की कहानी, उपलब्धियां व विवाद दोनों रहे साथ-साथ

The story behind DGP's resignation: Controversy or offer of a new position? Find out the story behind DGP Anurag Gupta's resignation, a time of both accomplishments and controversy.

DGP Anurag Gupta Resign Story: झारखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे की अलग-अलग कहानियां सामने आ रही है। अनुराग गुप्ता ने मंगलवार देर शाम मुख्यमंत्री आवास में अपना इस्तीफा सौंपा। यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब उनके सेवा विस्तार को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच महीनों से विवाद चल रहा था।

 

1990 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल 2025 को सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद झारखंड सरकार ने उन्हें दो वर्ष का सेवा विस्तार दिया था। इसी फैसले को लेकर केंद्र सरकार ने कड़ा विरोध जताया और इसे नियमों के विरुद्ध बताया। केंद्र ने इस संबंध में 22 अप्रैल 2025 को तत्कालीन मुख्य सचिव को पत्र लिखकर स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्त अधिकारी को सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता।

 

इस फैसले को लेकर राज्य और केंद्र के बीच पत्राचार, विवाद और कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी सेवा विस्तार का विरोध करते हुए हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक उद्देश्यों से दायर अवमानना याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।

 

प्रमोशन और UPSC बैठक से भी रखा गया दूर

केंद्र सरकार ने कई पत्रों में इस नियुक्ति को गलत बताते हुए राज्य के फैसले पर आपत्ति दर्ज की। यहां तक कि IPS अधिकारियों की प्रोन्नति से संबंधित UPSC बैठक में भी अनुराग गुप्ता को आमंत्रित नहीं किया गया। डीएसपी से IPS प्रमोशन फाइलों में भी उनकी भूमिका को लेकर सवाल उठे थे, जिसके चलते कई प्रमोशन निर्णय लंबित कर दिए गए थे।

 

अंतरिम, फिर नियमित DGP – और फिर इस्तीफा

अनुराग गुप्ता को पहली बार 26 जुलाई 2024 को प्रभारी DGP बनाया गया था। लेकिन विधानसभा चुनाव के समय चुनाव आयोग के निर्देश पर उन्हें हटा दिया गया। हेमंत सोरेन के दोबारा सत्ता में आने के बाद 28 नवंबर 2024 को उन्हें फिर प्रभारी DGP नियुक्त किया गया, और फिर 3 फरवरी 2025 को नियमित DGP बनाया गया।

 

करियर उपलब्धियाँ और विवाद दोनों रहे साथ

अनुराग गुप्ता ने अपने तीन दशक से अधिक के करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। वे गढ़वा, गिरिडीह, हजारीबाग के एसपी और रांची के एसएसपी रह चुके हैं। संयुक्त बिहार के दौरान उनके योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रपति गैलेंट्री अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।

हालांकि उनका करियर विवादों से मुक्त नहीं रहा। 2016 के राज्यसभा चुनाव में एक राजनीतिक दल के पक्ष में सक्रिय भूमिका निभाने के आरोप में उन्हें फरवरी 2020 में निलंबित कर दिया गया था। करीब 26 महीने निलंबित रहने के बाद अप्रैल 2022 में हेमंत सोरेन सरकार ने निलंबन खत्म कर उन्हें वापस सेवा में बहाल किया, और आगे चलकर डीजीपी बनाया।

 

अब किसकी होगी कमान? दो नाम सबसे आगे

सूत्रों के अनुसार, नए DGP की तलाश शुरू हो गई है। दो नाम सबसे प्रबल बताए जा रहे हैं—

• 1992 बैच के IPS प्रशांत सिंह

• 1993 बैच के IPS एम.एस. भाटिया

अगले कुछ दिनों में गृह विभाग नए डीजीपी की नियुक्ति पर निर्णय ले सकता है।

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