…..तो घट जायेगी झारखंड में आदिवासी सीटें? परिसीमन को लेकर गठबंधन सरकार की मुश्किलें बढ़ी, जानिये कैसा है समीकरण

.....will the tribal seats in Jharkhand decrease? Coalition government's troubles increased due to delimitation, know what is the equation

रांची। झारखंड में 2026 में प्रस्तावित परिसीमन को लेकर राजनीति गरमाती दिख रही है। इस प्रक्रिया के तहत लोकसभा और विधानसभा सीटों के नए सिरे से निर्धारण की योजना बनाई जा रही है। लेकिन जैसे ही परिसीमन की चर्चा शुरू हुई, राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो गया। खासतौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस गठबंधन ने आशंका जाहिर की है कि परिसीमन के बाद आदिवासी आरक्षित सीटों की संख्या में कमी हो सकती है।

 

अभी की क्या स्थिति है 

अगर झारखंड की बात करें तो लोकसभा की 14 सीटों में से 5 सीटें आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं, जबकि 81 सदस्यीय विधानसभा में 28 सीटें आदिवासी आरक्षित हैं। जाहिर है आदिवासी सीटों पर दबदबा झामुमों और गंठबंधन दलों का ही है। ऐसे में सत्तारूढ़ गठबंधन का मानना है कि परिसीमन के जरिए इन सीटों में कमी कर भाजपा राज्य में राजनीतिक संतुलन बदलने की कोशिश कर सकती है।

 

आदिवासी सीटों पर झामुमो का दबदबा

2019 लोकसभा चुनाव में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने सभी 5 आदिवासी आरक्षित सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, विधानसभा चुनावों में भी 28 में से 27 आदिवासी आरक्षित सीटों पर गठबंधन का कब्जा रहा था, जबकि भाजपा सिर्फ सरायकेला सीट पर जीत दर्ज कर सकी थी। इस सीट से भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन विजयी हुए थे, जो पहले झामुमो में थे।

 

परिसीमन के जरिए सीटों की प्रकृति में संभावित बदलाव का सीधा असर इन चुनावी समीकरणों पर पड़ेगा। सत्तारूढ़ गठबंधन इसे भाजपा के खिलाफ आदिवासी विरोधी राजनीति का मुद्दा बनाकर भुनाने की कोशिश कर रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले ही इसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाकर भाजपा को घेरने की रणनीति अपना चुके हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस पर क्या रुख अपनाती है।

 

संताल परगना को लेकर नया विवाद

परिसीमन के अलावा झारखंड की राजनीति में एक और बड़ा मुद्दा जोर पकड़ रहा है। गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने संताल परगना को झारखंड से अलग करने की मांग उठाकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। यह क्षेत्र राज्य में 18 विधानसभा सीटों के साथ एक महत्वपूर्ण प्रमंडल माना जाता है।

संताल परगना में भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान हुआ था, जहां उसे सिर्फ एक सीट मिली थी। भाजपा सांसद की इस मांग को झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने तुरंत राजनीतिक मुद्दा बना लिया। विधानसभा चुनाव के दौरान झामुमो ने इसे अपने प्रचार अभियान का हिस्सा बनाते हुए दावा किया था कि वे झारखंड का विभाजन नहीं होने देंगे। अब इस मुद्दे को फिर से उछालकर सत्तारूढ़ गठबंधन भाजपा को घेरने की कोशिश में जुट गया है।

राजनीतिक समीकरण और संभावनाएं

• लोकसभा में आदिवासी आरक्षित सीटें: 5 (2019 में सभी झामुमो-कांग्रेस के पास)

• विधानसभा में आदिवासी आरक्षित सीटें: 28 (2019 में 27 झामुमो-कांग्रेस के पास, 1 भाजपा के पास)

• संताल परगना विवाद: भाजपा सांसद द्वारा अलग राज्य की मांग पर बढ़ती सियासत

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