गढ़वा में शिक्षा के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर भवनों का निर्माण कराया गया है, मगर बहुत से ऐसे विद्यालय भवन है, जो पशु बांधने व लकड़ी रखने के काम आ रहे हैं। 2018 में विद्यालयों को मर्ज किए जाने के बाद इन भवनों का उपयोग नहीं हो पा रहा है तथा यह भवन अनुपयोगी साबित हो रहे हैं।

ऐसे में सरकार एवं आम लोगों के खून पसीने की कमाई से बने यह विद्यालय भवन बेकार साबित हो रहे है। मर्ज हुए स्कूल भवन झाड़ियों के पीछे छिपकर अब अपना अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच गए हैं।

ऐसा ही एक मामला गढ़वा प्रखंड के ओबरा पंचायत में देखने को मिल रहा है। उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पीपरढही को 2018 में मर्ज कर दिया गया है। इस स्कूल में 55 बच्चे नामांकित थे, जिन्हें अब लगभग दो किलोमीटर की दूरी तय कर मुख्य पथ स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पचकेड़ी में जाना पड़ता है।

इसका प्लास्टर भी नहीं हुआ है। जो मर्ज होने के पूर्व किए गए घोटाले की ओर इशारा करता है। यह भवन अब किसी काम का नहीं है। ग्रामीण यहां पशु बांधते है तथा लकड़ी रखते हैं।

पुराना भवन भी ग्रामीणों द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है। रसोई घर भी बेकार पड़ा हुआ है। ऐसे में जिले मे मर्ज अन्य स्कूल भवनों का क्या हाल होगा इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

उप्रावि पीपरढही के पुराने भवन के बगल में नया 3 एसीआर भवन का निर्माण सात लाख रुपये खर्च कर बनाया गया है। इस भवन में ना तो प्लास्टर हुआ है और न ही दरवाजा खिड़की ही लगे हैं। तत्कालीन प्रधानाध्यापक राजकुमार ठाकुर को भवन निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वर्ष 11 -12 में भवन निर्माण को पूरा करना था मगर वह अधूरा रह गया।

HPBL Desk

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