रांची। झारखंड में भाजपा ने 14 सीट में से 13 सीट पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है। चर्चा है कि गिरिडीह की एक सीट आजसू के लिए छोड़ी गयी है। हालांकि ये बात अलग है कि आजसू ने अभी तक अपन पत्ते नहीं खोले हैं। भाजपा ने जिन 13 सीट पर प्रत्याशी के नामों का ऐलान किया है, उसमें से 5 मौजूदा सांसद के टिकट काटे गये हैं, जबकि एक सांसद का दल बदल कराया गया है।

भाजपा के 13 प्रत्याशियों में तीन महिलाएं हैं, जिसे लेकर सियासत का अनूठा संयोग भी जुड़ा है। तीनों प्रत्याशी दल बदलकर भाजपा में पहुंची और तीनों को भाजपा ने टिकट दिया है। दल बदलकर भाजपा में पहुंची और टिकट पाने में कामयाब रही भाजपा नेत्रियों को लेकर खूब सियासी तंज भी चल रहे हैं। विरोधी पूछ रहे हैं कि क्या भाजपा को अपने दल में प्रत्याशियों का टोटा है, जो दूसरे दल से प्रत्याशी ला रही है ? या फिर अपने दल के प्रत्याशी पर यकीन नहीं है?

अन्नपूर्णा देवी
सबसे पहले बात कर लेते हैं अन्नपूर्णा देवी की…दरअसल अन्नपूर्ण देवी आरजेडी में थी, साल 2019 में वो भाजपा में शामिल हुई और फिर कोडरमा से उन्हें पार्टी ने टिकट दे दिया। अन्नपूर्णा देवी कोडरमा से जीत गयी और फिर मोदी सरकार में उन्हें राज्यमंत्री भी बनाया गया। इस बार भी अन्नपूर्णा देवी को कोडरमा से टिकट दिया है। इंडिया गठबंधन से अभी प्रत्याशी का ऐलान तो नहीं हुआ है, लेकिन चर्चा है कि कोडरमा सीट माले के खाते में जा सकती है। वहां वामपंथी पार्टी अपना प्रत्याशी उतारेगी। पिछले संसदीय चुनाव में राजद प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ कर भाजपा में शामिल हुईं अन्नपूर्णा देवी चुनाव जीतने के बाद पहले भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष बनीं। इसके बाद उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और हरियाणा का सह प्रभारी भी बनाया गया। आपको बता दें कि कोडरमा संसदीय सीट से NDA प्रत्याशी सह भाजपा नेता अन्नपूर्णा देवी ने पिछले चुनाव में महागठबंधन प्रत्याशी सह झाविमो नेता बाबूलाल मरांडी को हराया था। कोडरमा से निवर्तमान सांसद रवींद्र राय का टिकट काटकर भाजपा ने अन्नपूर्णा देवी पर भरोसा जताया था और उन्हें यहां से अपना उम्मीदवार बनाया था। अन्नपूर्णा के पति स्वर्गीय रमेश प्रसाद यादव साल 1998 में बिहार की राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। पति के असामायिक निधन के बाद अन्नपूर्णा देवी ने राजनीति में कदम रखा। 1998 के विधानसभा उपचुनाव, झारखंड में साल 2000, 2005 और 2009 के विधानसभा चुनाव में अन्नपूर्णा ने जीत दर्ज की। झारखंड में साल 2013 में बनी हेमंत सोरेन की सरकार में अन्नपूर्णा देवी को मंत्री बनाया गया था। साल 2014 में उन्हें कोडरमा विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था। अन्नपूर्णा देवी को भाजपा नेता नीरा यादव ने हराया था।

सीता सोरेन
वहीं बात करें सीता सोरेन की, तो सीता सोरेन कुछ दिन पहले ही झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल हुई थी। सीता सोरेन को पार्टी ने दुमका से प्रत्याशी बनाया है। कमाल की बात ये है कि दुमका सीट से पार्टी ने पहली लिस्ट में ही प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया था। यहां से सुनील सोरेन को दोबारा से टिकट दिया गया था, लेकिन पार्टी ने मौजूदा सांसद का टिकट बदलकर सीता सोरेन को अपना प्रत्याशी बनाया है। जानकार कहते हैं कि सीता सोरेन इसी डील के तहत ही भाजपा में शामिल हुई थी और फिर उन्हें इसके बदले टिकट भी मिल गया है। बता दें कि, सीता मुर्मू उर्फ सीता सोरेन JMM प्रमुख शिबू सोरेन की बहू और दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं. सीता झारखंड मुक्ति मोर्चा की नेता रही हैं और झारखंड के ही जामा सीट से विधायक हैं. उन पर 2012 के राज्यसभा चुनाव में मतदान के लिए पैसे लेने का आरोप लगा था और वह सात महीने तक जेल में रहीं. इसके बाद से जमानत पर बाहर हैं. इसी 19 मार्च 2024 को सीता सोरेन ने पार्टी की तरफ से लगातार उपेक्षा का हवाला देते हुए झामुमो के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया.
सीता 2009 में विधायक चुनी गईं. उनके चुनाव के बाद, उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था. 2014 में, उन्होंने उसी निर्वाचन क्षेत्र से झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 2019 में, उन्होंने झारखंड के जामा विधानसभा सीट से तीसरी बार विधायकी जीती है.

गीता कोड़ा
गीता कोड़ा को भाजपा की सिंहभूम से टिकट दिया है। गीता कोड़ा भी भाजपा की कैडर नहीं रही है, बल्कि वो हाल ही कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुई है। गीता कोड़ा सांसद थी, उनके पति मधु कोड़ा कई तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए हैं। गीता कोड़ा के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होते ही पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना लिया। गीता कोड़ा, मधु कोड़ा की पत्नी है। 2005 के पहले तक मधु कोड़ा बीजेपी में थे। मधु कोड़ा पहली बार बीजेपी के टिकट पर ही चुनाव जीते थे। बाद में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर 2005 में जगरनाथपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीते और करीब 20 महीने तक निर्दलीय विधायक के रूप में मधु कोड़ा कांग्रेस-जेएमएम के समर्थन से सीएम रहे। बाद में गीता कोड़ा जगरनाथपुर से कांग्रेस विधायक बनी। वर्ष 2019 के चुनाव में वो कांग्रेस टिकट पर सिंहभूम से सांसद बनीं। अब मधु कोड़ा और गीता कोड़ा की बीजेपी में वापसी हुई।

कुल मिलाकर जिन तीन महिला नेताओं को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है, वो भाजपा की मूल कैडर है ही नहीं, बल्कि दूसरी पार्टी से भाजपा में पहुंची और फिर भाजपा ने उन्हें टिकट दे दिया। ऐसे में अन्य दलों से आयी नेत्रियों को भाजपा मं टिकट मिलने पर पार्टी की महिता नेत्री को परेशान है ही, विरोधियों को भी निशाना साधने का मौका मिल गया है।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...