शरद पूर्णिमा 2025: मां लक्ष्मी का पूजन कैसे करें…जानें पूजा विधि और कल की अमृतवर्षा का महत्व

Sharad Purnima 2025: How to worship Goddess Lakshmi, learn the method of worship and the significance of tomorrow's Amritvarsha

रांची/चंदनकियारी: इस वर्ष शरद पूर्णिमा 2025 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन कोजागरी लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार, विवाहित स्त्रियां रातभर जागकर माता लक्ष्मी की आराधना करती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य व उन्नति की कामना करती हैं। पंडित जयप्रकाश पांडेय शास्त्री के अनुसार, इस दिन घी का दीपक जलाकर पूजा करने से देवी लक्ष्मी घर घर भ्रमण करती हैं और जागरण करने वाले को सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।

शरद पूर्णिमा की चांदनी में सिक्त खीर का प्रातः ग्रहण विशेष लाभकारी माना जाता है। इस दिन 100 दीपक जलाने का विधान भी है। बोकारो और पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे इलाकों में हर गांव और घर में मां लक्ष्मी का विधिपूर्वक पूजन किया जाएगा। मंदिरों में मूर्तियों की स्थापना के बाद ग्रामीण रातभर भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। चंदनकियारी, कसमार और चास में विशेष बांग्ला यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें लोग मां लक्ष्मी की आराधना और जागरण का आनंद लेते हैं।

पूजा की विधि में संध्या समय स्नान के बाद स्वर्ण, रजत या मिट्टी के कलश में मां लक्ष्मी की स्वर्णमयी प्रतिमा स्थापित की जाती है। लाल वस्त्र में लपेटकर कलश पर स्थापित प्रतिमा के साथ भोग, दीप, भजन और कीर्तन किए जाते हैं।

इस दिन का महत्व विभिन्न समुदायों में अलग है—उड़िया मान्यता अनुसार इसे कुमार पूर्णिमा कहते हैं, गुजराती समाज इसे शरद पूनम के रूप में मनाता है, जबकि मराठी समुदाय अपने जेष्ठ संतान का सम्मान करता है। बंगाली समाज इसे कोजागरी लक्ष्मी पूजा के रूप में मनाता है और रातभर जागरण कर देवी लक्ष्मी की आराधना करता है।

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