देखिये स्वास्थ्य मंत्री जी! अपने वेतन ने नहीं भर रहा इन अफसरों का पेट, दूसरे के वेतन में मांगते हैं 15% हिस्सा, शिकायत के बाद खानापूर्ति वाली जांच टीम बनी

गोबिंदपुर (धनबाद) 10 जून 2025। गोबिंदपुर का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कम अपनी कारगुजारियों के लिए ज्यादा बदनाम है। कभी स्वास्थ्यकर्मियों की मनमानी, तो कभी अधिकारियों की भर्राशाही.. अब नया मामला वेतन में हिस्सा मांगने का सामने आया है। गोबिंदपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत संचालित आयुष्मान आरोग्य मंदिर बागसुमा की सीएचओ ने बीपीएम (BPM) पर गंभीर आरोप लगाये हैं।
सीएचओ (CHO) ने की ऑनलाइन पोर्टल में शिकायत
जानकारी के मुताबिक सीएचओ रीना कुमारी ने गोबिंदपुर के ब्लाक कार्यक्रम प्रबंधक प्रमोद कुमार पर आरोप लगाया है कि बीपीएम वेतन में हिस्सेदारी मांगते हैं। रीना कुमारी ने इस सबंध में सिविल सर्जन के शिकायत पोर्टल सीपी ग्राम पोर्टल पर लिखित शिकायत दर्ज की है।
वेतन में मांग रहे हैं 15 प्रतिशत हिस्सेदारी
ऑनलाइन शिकायत के बाद हड़कंप मचा हुआ है। सिविल सर्जन चंद्रभानु प्रतापन ने इस संबंध में जांच के आदेश दे दिये हैं। शिकायत में सीएचओ रीना कुमार ने कहा है कि बीपीएम प्रमोद कुमार उनसे वेतन में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी मांगते हैं। शिकायत में ये भी कहा है कि वो पहले वेतन समेत मिलने वाले अन्य इंसेटिव में 10 प्रतिशत हिस्सा देती थी। लेकिन अब बीपीएम 15 प्रतिशत हिस्सा मांग रहे हैं।
बीपीएम ने 5 प्रतिशत बढ़ा दिया है अपना रेट
सीएचओ ने बताया कि वो बीपीएम से काफी प्रताड़ित है, जिससे वो काफी परेशान है। इधर आनलाइन शिकायत मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप है। अब सिविल सर्जन ने एक जांच टीम गठित की है। इस टीम में जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ मंजू दास, डॉ विकास राणा शामिल हैं। सभी से जल्द इस मामले में जांच कर रिपोर्ट मांगी गयी है।
जूनियर अनुबंधित जांच अधिकारी अनुबंधित कर्मचारी की कैसे करेगा जांच?
हालांकि जांच टीम को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसर जांच टीम में शामिल डॉ विकास राणा खुद अनुबंध पर कार्यरत हैं, जबकि बीपीएम का पद भी अनुबंध का पद होता है।जिस तरह के आरोप लगे है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिस्सेदारी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से लेकर अन्य कर्मियों तक भी पहुंचती होगी।
ऐसे में जांच पदाधिकारी खुद प्रभारी से जूनियर अनुबंध चिकित्सा पदाधिकारी हैं लिहाजा, एक अनुबंधकर्मी दूसरे अनुबंधकर्मी की कैसे जांच कर सकता है? अगर हो भी जाये, तो क्या गारंटी है कि कार्रवाई हो ही जायेगी..कहीं ये शिकायत लिपापोती के लिफाफे में तो कैद तो नहीं हो जायेगा।
सिर्फ बीपीएम ही क्यों? प्रभारी से लेकर अन्य पदाधिकारी पर भी हैं सवाल
एक तरफ स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी स्वास्थ्य सुविधा को बहाल करने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं, दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी स्वास्थ्यकर्मियों से वेतन में हिस्सा मांग रहे हैं। जाहिर है वेतन से हिस्सेदारी मांगने की हिमाकत सिर्फ बीपीएम तो नहीं कर सकता? इस मामले में अन्य अधिकारियों की भी संलिप्तता जरूर होगी। ऐसे में जांच सिर्फ बीपीएम तक सीमित नहीं रहकर प्रभारी से लेकर अन्य अधिकारियों की भी होनी चाहिये।