झारखंड में बालू की किल्लत ने PM आवास और अबुआ आवास प्रोजेक्ट रोक दिए, लाखों लोगों का सपना हुआ अधूरा

A sand shortage in Jharkhand has stalled the PM Awas and Abhu Housing projects, leaving millions of people's dreams unfulfilled.

रांची। झारखंड में बालू संकट अब गहराता जा रहा है। हाल ही में एनजीटी (NGT) ने 16 अक्टूबर से बालू खनन पर लगी रोक हटाने की घोषणा की है, लेकिन राज्य हाईकोर्ट के आदेश के चलते पेसा कानून लागू होने तक लघु खनिज आवंटन पर रोक जारी रहेगी। इसका असर सरकारी और निजी परियोजनाओं दोनों पर साफ दिख रहा है।

बीते 10 दिनों में बालू की कीमतों में भारी उछाल आया है। रांची में 100 सीएफटी बालू अब 4500 रुपये से बढ़कर 5500 रुपये, जमशेदपुर में 7000 रुपये और धनबाद में 6500 रुपये प्रति 100 सीएफटी बिक रहा है। महंगे बालू के कारण आम लोग घर बनाने से पीछे हट रहे हैं और प्रधानमंत्री आवास योजना एवं अबुआ आवास योजना प्रभावित हो रही हैं। इसके साथ ही सड़क निर्माण और नाली निर्माण कार्य भी ठप हो गया है।

राज्य के कई शहरों में बालू की ब्लैक मार्केटिंग की शिकायतें भी सामने आई हैं। स्टॉकिस्ट के पास लाखों सीएफटी बालू होने का दावा है, लेकिन चालान नहीं दिए जा रहे। कई जगह 100 सीएफटी के पैसे लेकर केवल 60-80 सीएफटी ही दिया जा रहा है, जिससे फ्लैट और निर्माण परियोजनाओं की कीमतें बढ़ रही हैं।

आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को अधिकार देने के लिए पेसा कानून लागू करने की मांग की थी। इसी कारण कोर्ट ने बालू आवंटन पर रोक जारी रखी है। अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।

जमशेदपुर बिल्डर्स एसोसिएशन के अनुसार, पूर्वी सिंहभूम और अन्य जिलों में सरकारी और निजी परियोजनाएं बालू संकट से प्रभावित हैं। जेएसएमडीसी (Jharkhand State Mineral Development Corporation) के पास स्टॉक मौजूद है, लेकिन हाईकोर्ट की अनुमति के बिना वितरण नहीं हो पा रहा।

Related Articles