गया। झारखंड में शहीद हुए SI सिकंदर सिंह का शव तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचा, चित्कार से पूरा आसमान गूंज गया। कौन था, जिसका गला रूंधा हुआ नहीं था, कौन था जो आंसू नहीं बहा रहा था। शहादत की खबर के बाद से ही सिकंदर सिंह के गांव खिरियांवा में गम पसरा हुआ था। शहीद के पार्थिव शरीर के पहुंचते ही पूरे इलाके से लोग जमा हो गये। पापा के शव पर फूट-फूटकर रो रही बेटी रिया रूंधे गले से बोली.. जो भी नक्सली या टेररिस्ट हैं उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। मैं आईएएस बनकर नक्सल और आतंकवाद को खत्म करूंगी।

आपको बता दें कि चतरा में पुलिस नक्सली मुठभेड़ में दो पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। उसमें एक शहीद सिकंदर सिंह भी था। शव के पहुंचते ही शहीद की मां के सब्र का बांध टूट गया, वो शव से लिपट गयी। पास खड़ी पत्नी भी बेसुध थी, पति के शव के सामने ही उसने हाथ पटक पटकर सारी चूड़ियां तोड़ डाली। बेटा करण 11 साल का है, वो पापा के शव को एकटक निहारता रह गया। कभी वो मां को देखता, तो कभी बहन और दादी को। शव को जब ले जाने लगे, तो बेटा करण दहाड़ मारकर रो पड़ा। बेटे को इस तरह रोते देख पूरा गांव रो पड़ा…

शहीद एसआई सिकंदर सिंह का अंतिम संस्कार गांव के पास ही श्मशान घाट पर हुआ। बेटे करण (11) ने अपने पिता को मुखाग्नि दी।इससे पहले अंतिम सफर में लोगों की भीड़ उमड़ी रही। पूरे रास्ते जब तक सूरज चांद रहेगा, सिकंदर तेरा नाम रहेगा…जैसे नारे गूंजते रहे। शहीद के ससुर ने भी अपने दामाद को अंतिम विदाई अपने कांपते हाथों से दी।

शहीद के चाचा अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि चार भाइयों में यह सबसे बड़ा था, लेकिन इन्होंने नौकरी की और सभी भाइयों को भी सेटल किया। गांव में कई लोग सेना में हैं। इन्होंने ही लोगों को प्रेरित किया था। जिसके कारण आज कई लोग सेना में या फिर पुलिस में है। हाल ही में सिकंदर छुट्टी से लौटा था, वादा किया था, कि जल्द ही वो छुट्टी में आने वाला है। घर वाले उसके होली में आने की राह देख रहे थे, लेकिन उसके पहले ही उसकी शहादत का पैगाम आ गया।

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