हजारीबांग। अभिनेत्री ईशा आलिया का अंतिम संस्का र हजारीबाग के खिरगांव स्थित मुक्तिधाम में हो गया। लेकिन मौत के बाद भी उसके अरमान अधूरे रहे। परिवार की कोशिश थी कि यह क्रियाकर्म पैतृक गांव महुदी में हो, लेकिन कथित तौर समाज और जाति के लोगों के कारण यह संभव नहीं हो सका। कहा जा रहा है कि ईशा आलिया को अंतरजातीय विवाह करने की सजा के तौर पर अंतिम संस्कार के लिए उसके जन्मस्थान हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड के महूदी गांव की मिट्टी नसीब नहीं हुई। ईशा के अंतरजातीय विवाह के कारण महूदी में उसके समाज के लोगों ने उसके शव को गांव लाने से मना कर दिया। आखिरकार ईशा के परिजन उसका शव लेकर हजारीबाग शहर में रहने वाली उसकी बहन के घर पहुंचे। उसका अंतिम संस्कार शुक्रवार को हजारीबाग मुक्तिधाम में किया गया। उसकी बहन के बेटे ने उसे मुखाग्नि दी।

झारखंड की रिया उर्फ ईशा आलिया ने कड़ी मेहनत और टैलेंट की दम पर अपना नाम बनाया था। वह चौपारण के महुदी गांव की रहने वाली थी। उसने प्रकाश कुमार उर्फ प्रकाश अलबेला से लव मैरिज की थी और उनकी तीन साल की एक बेटी भी है. ईशा की हत्याक के आरोप में उसके पति को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह हत्याि पश्चिम बंगाल के हावड़ा में बुधवार की सुबह हुई थी। ईशा के भाई अजय राणा गुरुवार की रात पौने दो बजे उसका शव लेकर कोलकाता से हजारीबाग के सिंघानी स्थित बहन संगीता देवी के घर पहुंचे।

अजय राणा ने अपने गांव के बिरादरी के लोगों घर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वे लोग बहन का अंतिम संस्कार अपने गांव महुदी में करना चाहते थे । पर जाति समाज के लोगों ने उन्हें इजाजत नहीं दी। वहीं गांव की मुखिया के पति रणवीर प्रसाद ने कहा कि ईशा की शादी से उसके समाज के लोग नाराज जरूर थे। पर यदि ये लोग शव लेकर महुदी आते तो भले उनकी बिरादरी के लोग अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होते पर गांव के अन्य जरूर शरीक होते।

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