रांची। रिम्स में चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति व लचर व्यवस्था पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। रिम्स की अव्यवस्था पर हाईकोर्ट ने एक बार फिर तीखी नाराजगी जतायी। झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान रिम्स की दलील पर ऐतराज जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि नए विज्ञापन में की गई गलतियों की जांच होगी और इसे लेकर जांच कमेटी गठित की जाएगी। इस मामले में जो भी दोषी होंगे उनकी भी जांच होगी।. मामले की सुनवाई के दौरान रिम्स ने भी माना कि नए विज्ञापन में गलती हुई है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 23 नवंबर निर्धारित की है. रिम्स की ओर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने पैरवी की।

इससे पहले कोर्ट ने नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने पूर्व में रिम्स से जानना चाहा था कि चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति के विज्ञापन में रिम्स ने कैसे लिखा है कि झारखंड के नागरिक ही आवेदन कर सकते हैं। नागरिक देश का होता है, राज्य का नहीं। पहले की सुनवाई में कोर्ट ने निर्देश दिया था कि रिम्स में फोर्थ ग्रेड सहित अन्य के लिए किये गये नये विज्ञापन के आधार पर जो परीक्षा होगी और उसमें जो चयनित होंगे उनकी नियुक्ति इस रिट याचिका में पारित आदेश से प्रभावित होगा।

आपको बता दें कि रिम्स में नियुक्ति के लिए 2019 में विज्ञापन निकला था। लैब अटेंडेंट तथा वार्ड अटेंडेंट के करीब 169 पद पर नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन पर अभ्यर्थियों का चयन भी हो गया था, लेकिन अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया था। इसके खिलाफ प्राथियों की ओर से झारखंड हाइकोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर नियुक्ति पत्र निर्गत कराने का आग्रह किया गया था, हालांकि बाद में रिम्स ने इस विज्ञापन को रद्द कर दिया था। रिम्स ने 20 मई 2022 को लैब अटेंडेंट, वार्ड अटेंडेंट सहित अन्य पदों के लिए एक नया विज्ञापन निकाला गया। प्राथियों ने इस नए विज्ञापन को भी हाइकोर्ट में चुनौती दी है।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...