रांची। राज्य भर में ईडी द्वारा जमीन घोटाले की जांच करने के वावजूद जमीन से संबंधित काम काज संभालने वाले कर्मियों का मोह भंग नहीं हो पा रहा है। यही वजह है की स्थानांतरण के वावजूद कर्मी अपने पूर्व स्थान छोड़ ही नहीं पा रहे है। परंतु सवाल अवश्य अहम है की आखिर स्थानांतरण के वावजूद किसके आदेश पर कर्मी पूर्व स्थान पर जमे हैं?

क्या है मामला

रांची जिले का कांके प्रखंड राजस्व मामले में अन्य प्रखंड की तुलना में सबसे धनी माना जाता है. दूसरे अंचलों के मुकाबले यह काफी बड़ा भी है. यहां के कर्मी हो या अधिकारी उनका मोह अंचल से नहीं टूटता हैं. राजस्व कर्मचारी परशुराम करकेटा इसका ताजा उदाहरण हैं।

राजस्व कर्मी परशुराम करकेटा कि कार्यकुशलता की जानकारी उनके वरीय अधिकारियों को मिली. उनके गुणों को एक्सप्लोर करने के लिए जिला प्रशासन के मुखिया या डीसी की तरफ से उन्हें सोनाहातू तबादला कर भेजने का आदेश हुआ. बकायदा जिला स्थापना उपसमाहर्ता के हस्ताक्षर से उनका तबदाले का फरमान दो जनवरी को जारी हुआ.

मजे की बात है की कांके अंचल से मोह भंग ही नहीं होता. परशुराम केरकेट्टा के 11 जनवरी की कांके अंचल कार्यालय तस्वीर सामने आई। जिसमें साफ तौर से तबादले के बाद भी कांके अंचल में परशुराम काम करते दिख रहे हैं. सूत्र बताते हैं की अंचल के वरीय पदाधिकारी के संज्ञान में सारी बात है. लेकिन परशुराम को कुछ बोलने की हिम्मत किसी में नहीं. इन मुद्दे पर अंचल अधिकारी जय कुमार राम और राजस्व कर्मी परशुराम करकेट्टा किसी ने भी अपना पक्ष नहीं दिया।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...