Ranchi Breaking: Banna Gupta became the first choice of Congress party, entered as a strong leader… Know the reason behind this

Ranchi। चुनावी घोषणा के साथ ही लोकसभा प्रत्याशी पर नजर रहती है। परंतु सबसे ज्यादा नजर किसी खास पार्टी की गढ़ माने जाने वाली संसदीय क्षेत्र की रहती है। फिलहाल कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। घोषणा में देरी के साथ ही अटकलों का बाजार गर्म है। नए नए प्रत्याशी के नाम के साथ पुराने प्रत्याशी रेस से पिछड़ते जा रहे है।राजधानी रांची से स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता कांग्रेस पार्टी की पहली पसंद बन गए हैं।

आखिर क्यों बन्ना गुप्ता बन रहे हैं पहली पसंद

बन्ना गुप्ता पिछले चार साल से अधिक समय से झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री हैं। अटकलों के बावजूद उनकी कुर्सी बरकरार है। कोरोना काल के दौरान उनका कामकाज बेहतर रहा। उन्होंने स्वास्थ्य संरचना को बेहतर करने की दिशा में काफी प्रयास किए हैं। बन्ना गुप्ता को आगे बढ़ाने से कांग्रेस समेत भाजपा विरोधी गठबंधन ओबीसी समुदाय को आकर्षित करने की कोशिश करेगा। संजय सेठ भी उसी पृष्ठभूमि से आते हैं। बन्ना गुप्ता ओबीसी मतदाताओं में सेंधमारी कर सकते हैं। कांग्रेस पार्टी पूरे प्रदेश में उनका इस्तेमाल कर सकती है।

जातीय समीकरण मानी जा रही वजह

इस फैसले को कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है. अगर बन्ना गुप्ता प्रत्याशी घोषित होने से रांची सीट पर चुनाव दिलचस्प हो सकता है. इसकी वजह जातीय समीकरण मानी जा रही है. सूत्रों के मुताबिक बनिया वर्ग से आने वाले भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ के सामने इसी जाति से आने वाले बन्ना गुप्ता ताल ठोकते नजर आएंगे.

खास बात है कि बन्ना गुप्ता जमशेदपुर पश्चिम से विधानसभा का चुनाव लड़ते रहे हैं. 2019 में उनकी एकतरफा जीत हुई थी क्योंकि जमशेदपुर पश्चिम से 2014 में भाजपा की टिकट पर चुनाव जीतने वाले सरयू राय ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ बतौर निर्दलीय जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़ा था और उन्हें मात भी दे दी थी.

बन्‍ना को लाने से जमशेदपुर की राजनीति पर पड़ेगा असर

जमशेदपुर की राजनीति पर भी दिखेगा असर बन्ना गुप्ता की उम्मीदवारी को लेकर स्थिति जल्द ही स्पष्ट हो जाएगी। कांग्रेस आलाकमान जल्द ही प्रत्याशी की घोषणा करेगा। सहयोगी दल झामुमो से भी बन्ना गुप्ता के बेहतर संबंध रहे हैं।

बन्ना गुप्ता को चुनाव लड़ने का मौका मिला तो इसका असर जमशेदपुर की राजनीति पर भी पड़ेगा। चुनाव परिणाम पर इसका दारोमदार होगा। बन्ना गुप्ता को सफलता मिली तो उनके उत्तराधिकार को लेकर जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा सीट पर नए सिरे से रस्साकशी होगी।

भाजपा और कांग्रेस में रही है कांटे की टक्कर

दरअसल, रांची लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर होती रही है. 2019 के चुनाव से पहले तक यहां भाजपा की ओर से रामटहल चौधरी और कांग्रेस की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के बीच चुनावी जंग चलती रही है. लेकिन 2019 में भाजपा ने रामटहल चौधरी की जगह संजय सेठ को प्रत्याशी बना दिया था. तब रामटहल चौधरी बागी बनकर मैदान में उतरे थे. लेकिन चुनाव के ठीक पहले पीएम मोदी के रोड शो से पूरा माहौल बदल गया था और संजय सेठ की एकतरफा जीत हुई थी.

इस बीच पिछले दिनों रामटहल चौधरी कांग्रेस में शामिल हो गये हैं. जबकि सुबोधकांत सहाय अपने क्षेत्र में पहले की तरह सक्रिय हैं. संभावना जतायी जा रही थी कि सुबोधकांत सहाय और रामटहल चौधरी में से ही किसी को टिकट मिलेगी। परंतु अब पासा पलट सकता है।

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