रामनवमी और चैत्र नवरात्रि का संगम…आज का दिन क्यों है खास, जानें भगवान राम के जन्मोत्सव का महत्व

Confluence of Ram Navami and Chaitra Navratri... Why is today special, know the importance of Lord Ram's birth anniversary

आज रामनवमी है। आज ही के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ था। इसके अलावा चैत्र नवरात्रि का आज नवां और अंतिम दिन है। इस दिन मां दुर्गा के नौंवे स्वरूप, मां सिद्धिदात्री की विशेष पूजा की जाती है। इस कारण आज के दिन की महत्ता बढ़ जाती है।

शास्त्रों में मां सिद्धिदात्री को सिद्धियों और मोक्ष प्रदान करने वाली देवी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इनकी आराधना से साधक को आठों प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

मान्यता है कि मां की पूजा से केवल सिद्धियां ही नहीं, बल्कि यश, बल और धन की भी प्राप्ति होती है।
धार्मिक परंपराओं के अनुसार, मां को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। इसीलिए उन्हें सफेद वस्त्र और सफेद पुष्प अर्पित करने का विशेष महत्व है। साथ ही, तिल भी मां को बहुत प्रिय हैं। अतः तिल अथवा तिल से बने व्यंजन का भोग लगाना शुभ होता है।

पूजन के दौरान बैंगनी या जामुनी वस्त्र धारण करना भी फलदायी माना जाता है, क्योंकि यह रंग आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। मां सिद्धिदात्री की मूर्ति में वे कमल के आसन पर विराजमान होती हैं, और उनके चार हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और चक्र सुशोभित होते हैं। इन्हें मां सरस्वती का स्वरूप भी माना गया है।

मान्यता है कि आदिकाल में भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या करके इनसे आठों सिद्धियां प्राप्त की थीं। मां की कृपा से ही शिव का आधा शरीर देवी रूप में परिवर्तित हुआ, जिससे वे अर्धनारीश्वर कहलाए।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब राक्षस महिषासुर का आतंक बढ़ गया था, तब देवताओं ने एकत्र होकर अपने तेज से मां सिद्धिदात्री को प्रकट किया था, जिन्होंने अंततः महिषासुर का वध किया।

मां सिद्धिदात्री का बीज मंत्र:
हीं क्लीं ऐं सिद्धये नमः।
आरती:
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता…
(पूरी आरती में मां के प्रति भक्त की श्रद्धा और कृपा की कामना अभिव्यक्त होती है)
नवरात्रि के इस अंतिम दिन कन्या पूजन की भी विशेष परंपरा है। इस दिन नौ कुंवारी कन्याओं और एक बालक भैरव का पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है और आशीर्वाद लिया जाता है।
कन्या पूजन और उम्र के अनुसार उनका महत्व:
•    2 वर्ष की कन्या – कुमारी: दरिद्रता का नाश, सुखों का आगमन
•    3 वर्ष – त्रिमूर्ति: धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति
•    4 वर्ष – कल्याणी: बुद्धि और विद्या में वृद्धि
•    5 वर्ष – रोहिणी: रोगों का नाश
•    6 वर्ष – कालिका: शत्रुओं पर विजय
•    7 वर्ष – चंडिका: धन-ऐश्वर्य में बढ़ोतरी
•    8 वर्ष – शांभवी: न्यायिक मामलों में सफलता
•    9 वर्ष – दुर्गा: दोषों से मुक्ति और परलोक की प्राप्ति
•    10 वर्ष – सुभद्रा: कार्यसिद्धि और मनोरथ की पूर्ति
नवरात्रि के इस नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा के साथ ही यह पर्व पूर्ण होता है, और भक्तों के लिए आस्था, भक्ति और शक्ति का यह विशेष काल संपन्न हो जाता है।

Related Articles