Rajeev Arun Ekka returns as CMO after 10 months by removing Vandana Dadel

रांची। झारखंड की ब्यूरोक्रेसी और राजनीतिक गहमागहमी के बीच आईएएस वंदना दादेल सुर्खियों में है। वंदना दादेल सीएमओ के प्रधान सचिव के पद से हटाकर 18 जनवरी को मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग का प्रधान सचिव बना दिया गया है. इससे पहले यह विभाग उनके पास अतिरिक्त प्रभार में था. साथ ही उन्हें महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। लेकिन खास बात है कि उनकी जगह पूर्व में सीएम के प्रधान सचिव रहे राजीव अरुण एक्का को अपर मुख्य सचिव के तौर पर दोबारा सीएमओ में इंट्री मिल गई है. उन्हें सीएमओ का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. मालूम हो की राजीव अरुण एक्का की दस माह बाद फिर से सीएमओ में वापसी हुई है.

पूछा था ये सवाल

मुख्यमंत्री के करीबी अफसर में शुमार वंदना दादेल को सीएमओ से क्यों हटा दिया गया. कहीं ईडी की चिट्ठी तो इसकी वजह नहीं बनी.ये सवाल काफी अहम बनता जा रहा है। पिछले दिनों कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव (अतिरिक्त प्रभार) की हैसियत से वंदना दादेल ने ईडी को पत्र लिखकर पूछा था कि आखिर किन मामलों में राज्य सरकार के अधिकारियों को समन जारी हो रहा है. सरकारी परिसरों में छापेमारी कैसे हो रही है. किसी भी समन में मनी लॉन्ड्रिंग का जिक्र क्यों नहीं है. उनके इस पत्र ने खूब सुर्खियां बटोरी थी.

ईडी के जवाब पर मची खलबली

लेकिन उनके पत्र भेजने के एक सप्ताह के भीतर ईडी ने काउंटर जवाब देते हुए जिस तरीके से सवाल उठाए और चेतावनी दी, उससे ब्यूरोक्रेसी में खलबली मच गई. कयास लगाए जा रहे हैं कि वंदना दादेल को सीएम से अलग करने का यह एक कारण हो सकता है. एक और वजह यह माना जा रहा है कि 20 जनवरी को लैंड स्कैम मामले में ईडी की टीम सीएम हेमंत सोरेन से उनके आवास पर पूछताछ करने वाली है. वैसी स्थिति में वंदना दादेल का सीएमओ में होना, अच्छा मैसेज नहीं देगा.

बीजेपी ने ली चुटकी

भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक कहना है कि हर दिन हेमंत सरकार संवैधानिक मामलों में फंसती जा रही है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी कहते रहे हैं कि कौन से अधिकारी इनको इस तरह के सलाह देते हैं. लगता है कि सीएम हेमंत सोरेन को यह बात समझ में आई होगी.

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