Putrada Ekadashi: पुत्रदा एकादशी के दिन गर्भवती महिलाएं जरूर करें इन मंत्रो का जप, खानदान को मिलेगा घर का चिराग

Putrada Ekadashi: Pregnant women must chant these mantras on the day of Putrada Ekadashi, the family will get the light of the house

Putrada Ekadashi: सनातन धर्म में एकादशी के त्यौहार का विशेष महत्व है। इस दिन लोग निर्जला व्रत रखते हैं और माता लक्ष्मी श्री हरि की पूजा करते हैं। माता लक्ष्मी और श्री हरि की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती है और जीवन में खुशहाली आती है।

पुत्रदा एकादशी का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। पुत्रदा एकादशी के दिन लोग व्रत रखते हैं और नारायण की पूजा करते हैं। इस एकादशी के दिन अगर गर्भवती महिलाएं नारायण की विशेष पूजन करें तो जीवन के सभी परेशानियां दूर हो जाएगी और घर में बच्चों की किलकारी गूंजेगी। संतान प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी को इस पाठ का जाप जरूर करना चाहिए।

संतान प्राप्ति मंत्र 

1. अस्य गोपाल मंत्रस्य, नारद ऋषि:

अनुष्टुप छंद:, कृष्णो देवता, म

म पुत्र कामनार्थ जपे विनियोग:।

2.ऊँ कृष्णाय विद्महे दामोदराय

धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।

3. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव

जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।।

4. ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।

5. क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः।

6. ओम बाल शिवाय विदमहे कालिपुत्राय धीमहि तन्नो बटुक प्रचोदयात्।।

7. प्रेम मगन कौशल्या निसिदिन जात न जान। सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।

8. ॐ क्लीं गोपालवेषधराय वासुदेवाय हुं फट स्वाहा ।।

9. ॐ नमो भगवते जगत्प्रसूतये नमः ।।

10. शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।

लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्॥

यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।

सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।

ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:॥

संतान स्तोत्र

नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।

सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।

गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।

गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।

विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।

नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।

एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।

प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।

शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।

भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।

ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।

पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।

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