रांची: झारखंड सरकार द्वारा कोर्ट फीस में भारी बढ़ोतरी के विरोध में 35,000 अधिवक्ता सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये न्यायिक कार्यों से अलग है। यह प्रदर्शन झारखंड स्टेट बार काउंसिल के आह्वान पर किया जा रहा है। प्रदर्शन के अंत में उपायुक्त को मुख्यमंत्री के नाम बार एसोसिएशन द्वारा ज्ञापन सौंपा जाएगा। ज्ञापन में बढ़ाई गई कोर्ट फीस को वापस लेने की मांग की गई है। इससे पूर्व सोमवार 25 जुलाई को अधिवक्ताओं ने काला बिल्ला लगाकर कोर्ट फीस बढ़ाए जाने का विरोध किया। कोर्ट फीस वापस लेने की मांग की गई। कई जिलों में एडवोकेट जुलूस निकालकर प्रदर्शन कर रहे हैं।एडवोकेट न्यायिक कार्यों में नहीं ले रहे हैं। उनका कहना है कि विरोध प्रदर्शन की वजह से उन्हें न्या शामिल होने के लिए समय नहीं मिल पा रहा है।

झारखंड स्टेट बार कौंसिल के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कोर्ट फीस वृद्धि को तत्काल वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि कोर्ट फीस में 200 से लेकर 300 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है। यह बढ़ोतरी गरीब लोगों के न्याय पाने में बाधक है। पूर्व में कभी भी कोर्ट फीस राजस्व बढ़ाने का स्रोत नहीं रहा है। इस बार की वृद्धि में ऐसा लगता है कि सरकार ने कोर्ट से भी राजस्व प्राप्त करने का फैसला किया है, जो सरासर गलत है। कोर्ट फीस बढ़ाए जाने के पूर्व काउंसिल से कोई सलाह मशविरा नहीं किया गया और ना ही कोई विचार लिया गया है।

बार काउंसिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ला कोने में बाधक बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि यह बढ़ोतरी बिना सोचे समझे की गई है। इसके प्रभावों से न्यायालय में लोग न्याय पाने के लिए कम आएंगे, क्योंकि राज्य की जनता गरीब है।

बार काउंसिल के वरीय सदस्य राम सुभाग सिंह ने कहा है कि न्याय पाना सभी के लिए सुलभ होना चाहिए, लेकिन झारखंड सरकार द्वारा बढ़ाई गई कोर्ट फीस की वजह से लोगों को न्याय पाने में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। यह स्थापित नियमों को परंपराओं के विरुद्ध है। बिना सलाह मशविरा किए कोर्ट फीस बढ़ाने को जनहित में तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।

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