prashaasan kisee ka ghar nahin tod sakate - jhaarakhand haeekort ka aham phaisala

रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने जिला प्रशासन की तरफ से घर तोड़ने की कारवाई पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया से जिला प्रशासन को अहम निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने गढ़वा सदर में अतिक्रमण बताकर एक घर को तोड़ने की नोटिस दिए जाने से संबंधित अशोक कुमार की याचिका की सुनवाई के बाद ये महत्वपूर्ण आदेश दिया.

क्या है मामला

प्रार्थी के गढ़वा सदर स्थित आवास में 10 मार्च 2024 को गढ़वा सीईओ ने नोटिस निर्गत कर 24 घंटे के अंदर उनके घर के दस्तावेज को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, अन्यथा उसके घर को अवैध अतिक्रमण मानते हुए उसे अतिक्रमण मुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही थी.

इसके बाद अगले ही दिन यानी 11 मार्च को प्रार्थी ने गढ़वा सीओ के पास समुचित कागजात जमा कर दिया था. इसके बाद भी सर्किल इंस्पेक्टर, गढ़वा सदर पुलिस बल के साथ उनके घर आए थे और उनके घर की नापी ली और लाल दाग लगा दिया था. प्रार्थी ने हाई कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने मामले में उक्त दिशा निर्देश देते हुए याचिका निष्पादित कर दी.

हाइकोर्ट ने कहा

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रशासन या सरकार किसी भी व्यक्ति के घर को जबरदस्ती नहीं तोड़ सकते, चाहे वह जगह अतिक्रमित भूमि पर ही क्यों ना हो. कोर्ट ने कहा कि कानून के द्वारा विधि सम्मत तरीके से प्रोसिडिंग चलाए बिना घर तोड़ने की कार्रवाई नहीं की जा सकती है, चाहे वह अतिक्रमण का क्यों ना हो.

कोर्ट में आदेश दिया कि अगर राज्य सरकार को लगता है कि प्रार्थी का घर अवैध अतिक्रमण का है, तो झारखंड पब्लिक लैंड एंक्रोचमेंट एक्ट के तहत कार्रवाई करके ही उसे हटा सकती है. बगैर इसके प्रार्थी का घर नहीं हटाया जा सकता है. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता शदाब बिन हक ने पक्ष रखा.

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