जमशेदपुर पुस्तक मेले के कवि सम्मेलन में हुआ काव्य पाठ…सुविचार संदेशों को शब्दों में किया संकलित

जमशेदपुर बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग द्वारा पुस्तक मेले में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।
विद्या तिवारी ने कवियों का स्वागत करते हुए कहा कि सहयोग एक ऐसा वट वृक्ष की तरह है जिसके नीचे अनेक साहित्यिक संस्थाएँ फल फूल रही हैं।
पामेला घोष ने अपनी कविता ‘रुपांतर’ सुनायी।
सुधा गोयल जी ने संवेदनशील कविता सुनायी,जिसकी पंक्ति….
“आप मुझे आखिरी पीढ़ी का कह सकते हैं
क्योंकि आज भी बिना किसी स्वार्थ के आपकी मदद कर सकता हूं ……”

पद्मा मिश्रा ने किताबों की महिमा बताते हुए कविता सुनाई
“किताबें ही अन्याय से लड़ना सिखाती हैं
किताबें एकता के ज्ञान का संदेश सुनाती हैं.

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बलविंदर सिंह जी की पंक्तियाँ सोचने पर मजबूर
“टुकड़ों में नहीं मुझे पूरा हिन्दुस्तान चाहिए ……”
मीनाक्षी कर्ण की पंक्तिया थी “गौतम बुद्ध तुम बने महान “
बसंत जमशेदपुरी मामचंद जी ने राजस्थानी कविता सुनायी और ममता कर्ण ने मैथिली में अपनी भावनाएं व्यक्त की।

इंदिरा पांडे की कविता ” चाय की प्याली ” ने बहुत तालियां बटोरी।
सरिता सिंह ने गंभीर कविता “टुकड़े टुकड़े में एक नारी को मारा जाता है”
पूर्वी घोष ने अपनी सम्वेदना बंगला में व्यक्त की.
विद्या तिवारी ने भी अपनी ताजा कविता नारी के अनेक रूपों पर सुनायी।

शीला कुमारी, अंजनी सहाय, रेणुबाला मिश्रा, डा निधि श्रीवास्तव, बीरेन्द्र पांडे, मुकेश, कुमार आदि इस कवि गोष्ठी में उपस्थित थे।

डॉ जूही समर्पिता ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि जमशेदपुर पुस्तक मेले में साहित्यिक आयोजन हमेशा ही सहयोग के स्टॉल पर होते रहें हैं, पर इस बार पाठकों की संख्या कम दिखी।
रेणु अस्थाना की बहुत ही गंभीर और सम्वेदनशील रचना “रंगोली “ने अन्तर्मन को झकझोर दिया .
हाँ मैं जिद्दी हूँ , और अंधेरी रात के तारे…..पंक्तियों ने वाह वाही बटोरी।

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रेणुका अस्थाना एक सशक्त हस्ताक्षर हैं. उनका कथा संकलन कालिंजर पुस्तक मेले में उपलब्ध है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ अरुण सज्जन ने किया।

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