छठ पर पीएम मोदी का मास्टरस्ट्रोक…UNESCO की सूची में शामिल कराने का ऐलान… बिहार चुनाव 2025 में मच सकती है सियासी सनसनी….

‘मन की बात’ में पीएम मोदी का बड़ा बयान — छठ पर्व को वैश्विक पहचान दिलाने की तैयारी, बिहार की राजनीति में नए समीकरण बनने के आसार।

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा ऐलान किया है जिसने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। रविवार (28 सितंबर) को मन की बात के 126वें एपिसोड में पीएम मोदी ने कहा कि सूर्यदेव को समर्पित छठ महापर्व को उनकी सरकार UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल कराने की प्रक्रिया पर काम कर रही है।

पीएम मोदी का बड़ा संदेश

पीएम मोदी ने कहा, “छठ महापर्व बिहार की सांस्कृतिक परंपरा का भव्य और दिव्य उत्सव है। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हमारी सरकार इसे UNESCO की सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल कराने का प्रयास कर रही है।”
उन्होंने छठ को “ग्लोबल फेस्टिवल” बताते हुए कहा कि यह पर्व अब सिर्फ बिहार या उत्तर भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में प्रवासी भारतीय इसे धूमधाम से मनाते हैं।

UNESCO में शामिल होने का क्या मतलब?

UNESCO (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) दुनिया की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों को संरक्षित करने वाली संस्था है। किसी त्योहार या परंपरा को इसकी सूची में शामिल करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजना पड़ता है, जिसके बाद विशेषज्ञ कमेटी उसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का अध्ययन करती है। स्वीकृति मिलने पर उस धरोहर का महत्व वैश्विक स्तर पर कई गुना बढ़ जाता है।

बिहार चुनाव 2025 पर असर?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोदी सरकार का यह कदम बिहार चुनाव से पहले मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है।

  • पहला, छठ बिहार की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का सबसे बड़ा प्रतीक है।

  • दूसरा, अगर इसे UNESCO सूची में शामिल किया गया तो यह बिहारियों के लिए गर्व का विषय होगा।

  • तीसरा, इसका असर प्रवासी बिहारियों तक भी जाएगा, जिन्हें अपनी संस्कृति को वैश्विक पहचान मिलने की खुशी होगी।

  • चौथा, इससे विपक्षी दलों के लिए चुनावी रणनीति बदलना पड़ सकता है।

छठ महापर्व की खासियत

छठ को सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। यह चार दिनों तक चलता है — नहाय-खायखरनासंध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य। इस दौरान व्रती 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं। इसमें सादगी, अनुशासन और त्याग का पालन होता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, फल और गन्ना प्रमुख होते हैं।

सांस्कृतिक से ज्यादा राजनीतिक मायने

छठ पहले से ही सीमाओं को पार कर दुनिया भर में बसे प्रवासी भारतीयों का त्योहार बन चुका है। लेकिन अब अगर यह UNESCO की सूची में शामिल होता है तो इसका महत्व दोगुना हो जाएगा। यही कारण है कि पीएम मोदी का यह ऐलान न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से अहम है, बल्कि बिहार चुनाव 2025 में सियासी परिदृश्य बदलने वाला कदम माना जा रहा है।

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