सरायकेला : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में सरायकेला निवासी दिवंगत स्नेहलता चौधरी को नमन करते हुए उन्हें समाज के लिए प्रेरणास्रोत बताया है. दरअसल, दिवंगत 63 वर्षीय स्नेहलता चौधरी ने अंगदान किया था. जिससे चार लोगों को नया जीवन मिला है।

दिवंगत स्नेहलता चौधरी के अंगदान के निर्णय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में ऐतिहासिक बताते हुए उन्हें नमन किया. प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के संबोधन में कहा कि स्नेहलता चौधरी जैसी महिलाएं समाज में लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. स्नेहलता चौधरी के अंगदान के निर्णय के चलते चार लोगों को जीवनदान मिला है. जिनमें दो लोगों को स्नेहलता के नेत्र से नई दृष्टि प्रदान हुई है. उनके द्वारा किए गए अंगदान से मरीजों को हृदय, किडनी, लीवर और नेत्र प्राप्त हुआ है।


स्नेहलता 17 सितंबर के दिन सड़क दुर्घटना में घायल हो गईं थी 

63 वर्षीय स्नेहलता चौधरी पिछले साल 17 सितंबर की सुबह गम्हरिया मुख्य सड़क पर मॉर्निंग वॉक के दौरान बाइक की चपेट में आने से घायल हो गईं थी. इस दुर्घटना में स्नेहलता के सिर पर गंभीर चोट आई थी. इस कारण पहले उन्हें सरायकेला सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां चिकित्सकों ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए जमशेदपुर के टीएमएच अस्पताल में रेफर कर दिया था. जहां इलाज के क्रम में हालत बिगड़ने पर उन्हें एयर एंबुलेंस से दिल्ली एम्स भेजा गया था. डॉक्टरों द्वारा काफी प्रयास किए जाने के बावजूद 30 सितंबर को स्नेहलता चौधरी की मौत हो गई थी।


प्रखर महिला थीं स्नेहलता, सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर लेती थीं हिस्स

दिवंगत स्नेहलता चौधरी सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं. वह कई संगठनों से भी जुड़ी थीं. अपने जीवनकाल में उन्होंने अंगदान विशेषकर नेत्रदान अभियान का पुरजोर समर्थन किया था. इस संबंध में स्नेहलता के पति रमन चौधरी ने बताया कि जीवनकाल में स्नेह लता हमेशा नेत्रदान की बात करती थीं और लोगों को भी नेत्रदान के प्रति प्रेरित करती थीं. 

पीएम मोदी ने स्नेहलता के बेटे से की बातचीत

पीएम मोदी ने अभिजीत जी से कहा कि आपके पिता जी और माताजी दोनों नमन के अधिकारी हैं. मैं उनको प्रणाम करता हूं और आपके पिताजी ने इतने बड़े निर्णय में, आप परिवार जनों का नेतृत्व किया, ये वाकई बहुत ही प्रेरक है और मैं मानता हूं कि मां तो मां ही होती है. मां एक अपने आप में प्रेरणा भी होती है लेकिन मां जो परम्पराएं छोड़ कर के जाती हैं, वो पीढ़ी-दर-पीढ़ी, एक बहुत बड़ी ताकत बन जाती हैं. अंगदान के लिए आपकी माता जी की प्रेरणा आज पूरे देश तक पहुंच रही है. मैं आपके इस पवित्र कार्य और महान कार्य के लिए आपके पूरे परिवार को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

अभिजीत ने क्या कहा

इस दौरान अभिजीत ने कहा कि दूसरे दिन हम लोगों ने अंगदान किया. इसमें मम्मी का एक सोच बहुत बड़ा था कि पहले वो काफी नेत्रदान और इन चीजों में सोशल सक्रीय थी. शायद यही सोच को लेकर के ये इतना बड़ा चीज हम लोग कर पाए, और मेरे पिताजी का जो निर्णय था. वह इसी कारण हो पाया है. अभिजीत ने कहा कि मेरी मां का हार्ट, दो किडनी, लीवर और दोनों आंखों का अंगदान किया था. जिससे चार लोगों की नई जीवन मिली है.

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